कर्नाटक ठेकेदार आत्महत्या मामला: प्रियांक खरगे पर आरोप, कांग्रेस-भाजपा में सियासी घमासान!
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**कर्नाटक ठेकेदार आत्महत्या मामला: सियासत की भेंट चढ़ा न्याय या दलित राजनीति का मोहरा?**
**बीदर में ठेकेदार की आत्महत्या ने मचाई सियासी हलचल**
कर्नाटक के बीदर में एक ठेकेदार की आत्महत्या ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। ठेकेदार सचिन पांचाल ने सुसाइड नोट में राज्य मंत्री प्रियांक खरगे के करीबी सहयोगी **राजू कपानुरू** पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने लिखा कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई और पैसे की मांग की गई। इस घटना के बाद से कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं।
**भाजपा ने उठाए सवाल: “क्या संविधान खरगे परिवार पर लागू नहीं होता?”**
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए विपक्ष के नेता आर. अशोक ने प्रियांक खरगे पर तीखा हमला किया। उन्होंने पूछा,
> “क्या आंबेडकर का संविधान खरगे परिवार पर लागू नहीं होता?”
भाजपा का कहना है कि कांग्रेस के बड़े नेताओं को नैतिकता का परिचय देते हुए इस्तीफा देना चाहिए। अशोक ने कहा कि यह मामला **सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए**, ताकि निष्पक्ष जांच हो सके।
**डी.के. शिवकुमार ने दिया जवाब: “हम जानते हैं सीबीआई कैसे काम करती है”**
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने भाजपा की मांग को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा,
> “हमारी सरकार साफ-सुथरी है। प्रियांक खरगे एक ईमानदार नेता हैं और उनकी छवि खराब करने के लिए यह साजिश रची गई है। भाजपा के पास कोई ठोस सबूत नहीं है।”
शिवकुमार ने मामले को सीबीआई को सौंपने से इनकार करते हुए कहा कि राज्य पुलिस और जांच एजेंसियां इस मामले को सही ढंग से संभालने में सक्षम हैं।
**दलित राजनीति का मुद्दा: भाजपा पर कांग्रेस का पलटवार**
शिवकुमार ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रियांक खरगे एक उभरते हुए दलित नेता हैं, और भाजपा उन्हें रोकने के लिए ऐसे हथकंडे अपना रही है। उन्होंने कहा,
> “प्रियांक हमारे मुखर मंत्री हैं, जो दलित समुदाय के लिए काम कर रहे हैं। भाजपा उन्हें निशाना बना रही है।”
**क्या सियासत न्याय के रास्ते में रोड़ा बन रही है?**
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या यह सियासत न्याय के रास्ते को और कठिन बना रही है? ठेकेदार सचिन पांचाल के परिवार को न्याय कब मिलेगा, और क्या सत्ता और विपक्ष के बीच की यह खींचतान राजनीतिक लाभ के लिए है?
**निष्पक्ष जांच की मांग**
कांग्रेस और भाजपा दोनों के आरोपों के बीच आम जनता और सचिन पांचाल का परिवार न्याय की उम्मीद लगाए बैठा है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच में क्या सामने आता है और क्या इस मामले को राजनीतिक लाभ के बजाय न्याय की दृष्टि से देखा जाएगा।
**निष्कर्ष**
यह मामला कर्नाटक की राजनीति के साथ-साथ देश में भ्रष्टाचार और नैतिकता पर भी सवाल खड़े करता है। ऐसे में निष्पक्ष जांच और न्याय सुनिश्चित करना सरकार और जांच एजेंसियों की प्राथमिकता होनी चाहिए।
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