"Congress की हालत पर शर्मिष्ठा मुखर्जी का बड़ा बयान: क्या पार्टी में बदलाव की जरूरत है?"

"Congress की हालत पर शर्मिष्ठा मुखर्जी का बड़ा बयान: क्या पार्टी में बदलाव की जरूरत है?"


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"कांग्रेस के भीतर का असंतोष: शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उठाए गंभीर सवाल!"


"कांग्रेस के भीतर असंतोष की बयानी:"

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी में सड़न आ गई है और अब उसे एक गंभीर आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है। शर्मिष्ठा ने खुलकर यह स्वीकार किया कि पार्टी की मौजूदा स्थिति काफी दुखद है, और यह विशेष रूप से शीर्ष नेताओं के बीच विचारधारा की कमी और संगठनात्मक अस्थिरता के कारण है। उनके मुताबिक, ऐसे हालात में कई पुराने कांग्रेस कार्यकर्ता पार्टी से खुद को दूर और अलग महसूस करने लगे हैं। 


"नेतृत्व पर सवाल उठाती शर्मिष्ठा:"

शर्मिष्ठा ने कांग्रेस के भीतर मौजूद नेतृत्व संकट पर भी सवाल उठाए। उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर चिंता जताई कि उनके पिता प्रणब मुखर्जी के निधन के बाद कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक नहीं बुलाई गई और पार्टी की तरफ से कोई प्रस्ताव भी पारित नहीं किया गया। शर्मिष्ठा ने कहा, “कांग्रेस को इसके लिए जवाब देना होगा। मैं केवल तथ्य बता सकती हूं, लेकिन मैं यह भी जोड़ना चाहूंगी कि मुझे नहीं पता कि यह जानबूझकर किया गया था या लापरवाही। इतनी पुरानी पार्टी में इस तरह की परंपराएं होनी चाहिए।” उनके इन सवालों ने पार्टी के अंदर व्याप्त असंतोष और अंदरूनी गुटबाजी की तस्वीर को और अधिक स्पष्ट किया है। 


"कांग्रेस के पुराने नेताओं की उपेक्षा:"

शर्मिष्ठा ने यह भी कहा कि पार्टी की अंदरूनी स्थिति और विचारधारा की कमी के कारण पुराने और स्थापित नेता अब पार्टी से खुद को बाहर महसूस कर रहे हैं। इससे पार्टी के भीतर विश्वास की कमी और कार्यकर्ताओं के लिए निराशा का माहौल बन गया है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि आखिर पार्टी के नेताओं ने अपने पुराने साथियों और कार्यकर्ताओं के लिए क्या किया, जिन्होंने पार्टी के लिए वर्षों तक संघर्ष किया और समर्पित रहे?


"क्या कांग्रेस खुद को फिर से जीवित कर पाएगी?"

शर्मिष्ठा मुखर्जी का यह हमला कांग्रेस पार्टी के लिए एक गंभीर चेतावनी हो सकता है। कांग्रेस के अंदर व्याप्त असंतोष और नेतृत्व की विफलता का नतीजा पार्टी के भविष्य पर असर डाल सकता है। शर्मिष्ठा का यह बयान यह साफ करता है कि पार्टी की विचारधारा और संगठन की संरचना में सुधार की आवश्यकता है, और अगर यह स्थिति यूं ही बनी रही, तो पार्टी को आगे और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। 

"कांग्रेस का आत्मनिरीक्षण जरूरी:"

अब यह देखना होगा कि कांग्रेस इस आलोचना का क्या जवाब देती है। क्या पार्टी अपने नेतृत्व और संरचना में सुधार करने की दिशा में कदम उठाती है, या यह स्थिति और गहरे संकट की ओर बढ़ेगी। शर्मिष्ठा का यह बयान पार्टी के लिए एक अवसर भी हो सकता है, अगर पार्टी इसे आत्मनिरीक्षण के रूप में देखे और अपने भीतर सुधार की दिशा में काम करे।शर्मिष्ठा मुखर्जी के इस तीखे बयान ने कांग्रेस पार्टी के भीतर व्याप्त असंतोष और संगठनात्मक संकट को उजागर किया है। कांग्रेस के लिए यह एक बड़ा अलर्ट है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पार्टी अपनी रणनीतियों और नेतृत्व में बदलाव करने के लिए तैयार होगी, ताकि वह अपने अस्तित्व को बनाए रख सके और पुराने कार्यकर्ताओं का विश्वास वापस पा सके।

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