Bihar में पोस्टर वार: JDU और जन सुराज के बीच छिड़ी सियासी जंग | Prashant Kishor | Nitsih kumar

Bihar में पोस्टर वार: JDU और जन सुराज के बीच छिड़ी सियासी जंग | Prashant Kishor | Nitsih kumar


 YouTube video link....https://youtu.be/A-31sndaSDM

**बिहार में पोस्टर वार: जेडीयू और जन सुराज के बीच छिड़ी सियासी जंग**

बिहार में सियासत का तापमान इन दिनों एक नई ऊंचाई पर है। राजनीतिक दलों के बीच जुबानी जंग के बाद अब पोस्टर वार शुरू हो चुका है। यह सियासी घमासान जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) और प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के बीच चल रहा है। इस युद्ध का केंद्र बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं, जिनके खिलाफ जन सुराज द्वारा लगाए गए पोस्टर ने जेडीयू को पलटवार करने का अवसर दिया।

पोस्टर वार की शुरुआत जन सुराज के उस पोस्टर से हुई थी, जिसमें नीतीश कुमार पर तंज कसा गया था। इस पोस्टर में मकर संक्रांति के बाद नीतीश कुमार को श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन से नालंदा जाने की बात कही गई थी। यह पोस्टर नीतीश कुमार की सरकार की विफलताओं पर व्यंग्य करता था, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई।

इस पोस्टर के जवाब में जेडीयू ने प्रशांत किशोर पर निशाना साधते हुए एक और पोस्टर जारी किया। जेडीयू के पोस्टर में प्रशांत किशोर की तस्वीर और एक ट्रेन के साथ बिहार का नक्शा दर्शाया गया है। इसके साथ ही मशहूर गायक अल्ताफ रजा के गाने "आवारा हवा का झोंका हूं" और "तुम तो ठहरे परदेसी" का जिक्र किया गया है। यह पोस्टर प्रशांत किशोर की राजनीतिक यात्रा पर कटाक्ष करता है, जिसमें उन्हें चुनावी मौसम की "आवारा हवा" के रूप में चित्रित किया गया है।

इस पोस्टर वार की शुरुआत एक छात्रों के मुद्दे से हुई थी, जिसे अब पूरी तरह से राजनीतिक रंग मिल चुका है। जन सुराज ने यह बैनर लगाया था, जिसमें दावा किया गया था कि मकर संक्रांति के बाद बिहार में सत्ता परिवर्तन होगा और नीतीश कुमार को श्रमजीवी ट्रेन से नालंदा जाना पड़ेगा। इस बैनर को लेकर बिहार की सियासत में उबाल आ गया और जेडीयू ने इसे गंभीरता से लिया।

प्रशांत किशोर, जो पहले नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी थे, अब उनकी सरकार पर लगातार हमले कर रहे हैं। उन्होंने अपनी पदयात्रा के दौरान बिहार में बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासनिक विफलताओं को लेकर नीतीश कुमार की सरकार पर कई सवाल उठाए थे। उनका कहना है कि नीतीश कुमार अब बिहार की जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। उन्होंने इसे बिहार के विकास के रास्ते में बड़ी रुकावट के रूप में चित्रित किया।

यह सियासी घमासान बिहार की राजनीति को नई दिशा दे सकता है। अगर यह पोस्टर वार और आगे बढ़ता है तो इससे बिहार में सियासी माहौल और भी गर्म हो सकता है। अगले कुछ महीने बिहार की राजनीति के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं। खासकर जब चुनावों का समय नजदीक आ रहा है, तो यह देखा जाएगा कि इस पोस्टर वार का असर जनता पर कितना पड़ता है और क्या यह केवल शब्दों की जंग तक सीमित रहेगा या इसके और भी गंभीर राजनीतिक परिणाम होंगे।

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