धार्मिक स्थलों पर सियासत: सीएम आतिशी और एलजी विनय सक्सेना के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज
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**धार्मिक स्थलों पर सियासी संग्राम: सीएम आतिशी और एलजी विनय सक्सेना के बीच तल्खी बढ़ी**
### **मुख्यमंत्री आतिशी का पत्र और विवाद की शुरुआत**
दिल्ली में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक तापमान चरम पर पहुंच गया है। मुख्यमंत्री आतिशी ने हाल ही में उपराज्यपाल (एलजी) विनय सक्सेना को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने दिल्ली के मंदिरों और बौद्ध धार्मिक स्थलों को गिराने के आदेश पर रोक लगाने की मांग की। आतिशी ने अपने पत्र में लिखा कि इन धार्मिक स्थलों का विध्वंस दलित समुदाय की भावनाओं को आहत करेगा।
उन्होंने एलजी से अपील की कि किसी भी पूजा स्थल को गिराने की प्रक्रिया तुरंत रोकी जाए। आतिशी के इस पत्र ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी।
### **एलजी विनय सक्सेना का जवाब: 'न तोड़ा जा रहा कोई धार्मिक स्थल'**
एलजी सचिवालय ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "न तो कोई मंदिर, मस्जिद, चर्च या अन्य पूजा स्थल तोड़ा जा रहा है और न ही इस संबंध में कोई प्रस्ताव लंबित है। मुख्यमंत्री आतिशी अपनी सरकार की विफलताओं को छुपाने के लिए सस्ती राजनीति कर रही हैं।"
सचिवालय ने यह भी स्पष्ट किया कि एलजी ने पुलिस को कड़े निर्देश दिए हैं कि किसी भी प्रकार की जानबूझकर की गई तोड़फोड़ पर नजर रखी जाए।
### **धार्मिक स्थलों को लेकर बढ़ता तनाव**
मुख्यमंत्री आतिशी के पत्र में दावा किया गया था कि धार्मिक समिति के निर्देश पर दिल्ली के कई धार्मिक स्थलों को गिराने का निर्णय लिया गया है। इस सूची में मंदिरों और बौद्ध पूजा स्थलों का उल्लेख था। आतिशी ने इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला और दलित समुदाय के खिलाफ बताया।
हालांकि, एलजी सचिवालय ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला पूरी तरह से गलत है और किसी भी धार्मिक स्थल को तोड़ने का कोई इरादा नहीं है।
### **सियासत में धर्म का मुद्दा: चुनाव से पहले माहौल गरम**
दिल्ली में आगामी चुनाव को लेकर यह मुद्दा और तूल पकड़ता दिख रहा है। सीएम आतिशी ने अपने पत्र में धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए, वहीं एलजी ने इसे "सस्ती राजनीति" करार दिया।
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि चुनावी माहौल में इस तरह के मुद्दे मतदाताओं को प्रभावित करने का बड़ा जरिया बन सकते हैं। आतिशी की अपील और एलजी का कड़ा जवाब दिल्ली की राजनीति में ध्रुवीकरण बढ़ाने का काम कर सकता है।
### **क्या है धार्मिक स्थलों पर कार्रवाई का सच?**
आरोप-प्रत्यारोप के बीच जनता यह जानना चाहती है कि क्या वास्तव में धार्मिक स्थलों को तोड़ा जा रहा है, या यह केवल राजनीतिक बयानबाजी है। एलजी सचिवालय के मुताबिक, इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक फाइल या आदेश नहीं है।
### **चुनावी रंग लेता विवाद**
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस विवाद का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में किया जाएगा। धर्म और राजनीति का यह मेल मतदाताओं को कितना प्रभावित करेगा, यह तो समय ही बताएगा।
### **निष्कर्ष: सच्चाई से कितनी दूर है राजनीति?**
चुनाव से पहले धर्म और सियासत के इस खेल ने दिल्ली के माहौल को गरमा दिया है। जनता को उम्मीद है कि यह मामला केवल आरोपों तक सीमित न रहे, बल्कि धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के साथ-साथ जनता के विश्वास को भी कायम रखा जाए।
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