बिहार विधान परिषद उपचुनाव: जदयू के ललन प्रसाद ने भरा नामांकन, एनडीए की जीत तय!
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बिहार विधान परिषद उपचुनाव: जदयू के ललन प्रसाद ने भरा नामांकन, एनडीए ने दिखाई एकजुटता**
**पटना:** बिहार में विधान परिषद की एक सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। जदयू के प्रत्याशी ललन प्रसाद ने गुरुवार को अपना नामांकन दाखिल कर दिया। इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा सहित एनडीए के तमाम बड़े नेता उपस्थित रहे। यह सीट विधानसभा कोटे की है, और संख्या बल के आधार पर एनडीए का इस सीट पर कब्जा तय माना जा रहा है।
**23 जनवरी को होगा मतदान**
बिहार विधान परिषद की यह सीट 23 जनवरी को होने वाले उपचुनाव के जरिए भरी जाएगी। विधानसभा कोटे से संबंधित होने के कारण, यह सीट एनडीए के खाते में जाने की पूरी संभावना है। एनडीए के पास निर्दलीयों को मिलाकर कुल 131 विधायक हैं, जबकि इंडिया गठबंधन के पास 111 विधायक हैं। वहीं, एआईएमआईएम के पास भी एक विधायक है।
**जदयू प्रत्याशी ललन प्रसाद का सफर**
ललन प्रसाद का नाम बिहार की राजनीति में नया नहीं है। धानुक जाति से ताल्लुक रखने वाले 52 वर्षीय ललन प्रसाद जदयू के पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ता हैं। शेखपुरा जिले से आने वाले ललन प्रसाद ने 2001 से 2005 तक घाट कुसुंबा प्रखंड में जदयू अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इसके बाद, 2009 से 2013 तक वे जदयू के जिला उपाध्यक्ष रहे।
शुरुआत से ही पार्टी को मजबूत करने में सक्रिय रहे ललन प्रसाद को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है। धानुक जाति के प्रभावशाली नेताओं की कमी को देखते हुए, ललन प्रसाद का चयन एनडीए के सामाजिक समीकरण को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
**उपचुनाव की पृष्ठभूमि**
यह उपचुनाव राजद के पूर्व एमएलसी सुनील कुमार सिंह की सदस्यता रद्द होने के कारण हो रहा है। सुनील सिंह पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी और मिमिक्री करने का आरोप था। इस मामले में विधान परिषद की आचार समिति ने जुलाई 2024 में अपनी रिपोर्ट सभापति को सौंपी थी, जिसमें आरोपों को सही पाया गया।
सभापति ने सुनील कुमार सिंह को माफी मांगने का विकल्प दिया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। इसके बाद उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई। यह सीट खाली होने के बाद अब एनडीए के लिए इसे जीतना सिर्फ औपचारिकता मानी जा रही है।
**एनडीए की एकजुटता**
ललन प्रसाद के नामांकन के दौरान एनडीए की एकता देखने को मिली। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ललन प्रसाद को समर्पित और कर्मठ नेता बताते हुए कहा कि उनका चयन पार्टी और समाज दोनों के लिए फायदेमंद होगा। उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि यह चुनाव एनडीए के लिए आसान है, क्योंकि संख्या बल पूरी तरह हमारे पक्ष में है।
**इंडिया गठबंधन की प्रतिक्रिया**
वहीं, विपक्षी गठबंधन इंडिया ने इस चुनाव को लेकर सवाल खड़े किए हैं। राजद ने सुनील सिंह की सदस्यता रद्द करने को राजनीति से प्रेरित बताते हुए इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया। विपक्ष का कहना है कि एनडीए प्रशासनिक शक्ति का दुरुपयोग कर रही है।
**सियासी समीकरण और नतीजों क असर**
यह उपचुनाव भले ही एक सीट के लिए हो रहा हो, लेकिन इसका असर बिहार की राजनीति पर गहरा हो सकता है। एनडीए इसे अपनी ताकत दिखाने का मौका मान रही है, जबकि विपक्ष इसे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की लड़ाई बता रही है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 23 जनवरी को होने वाला यह चुनाव क्या संकेत देता है। **क्या एनडीए अपनी जीत सुनिश्चित करेगी, या विपक्ष इसे एक बड़ा मुद्दा बनाकर सरकार पर हमला करेगा?** इसका जवाब आने वाला समय देगा।
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