क्या शुरू होगा एक और युद्ध? क्या नेतन्याहू बर्दाश्त कर पाएंगे एक और दुश्मनी?

क्या शुरू होगा एक और युद्ध? क्या नेतन्याहू बर्दाश्त कर पाएंगे एक और दुश्मनी?


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"क्या शुरू होगा एक और युद्ध? क्या नेतन्याहू बर्दाश्त कर पाएंगे एक और दुश्मनी?"


मध्य-पूर्व में एक और संघर्ष की आहट सुनाई दे रही है, और इसका केंद्र बन रहे हैं इजरायल और तुर्किये। इन दोनों देशों के रिश्ते लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं, लेकिन अब यह तनाव एक नए मोर्चे पर आकर खड़ा हो गया है। तुर्किये के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन की इजरायल के खिलाफ बढ़ती तीखी बयानबाजी और सीरिया में दोनों देशों का बढ़ता दखल एक बड़े टकराव की ओर इशारा कर रहे हैं।




सीरिया में असद सरकार के पतन के बाद से तुर्किये और इजरायल के हित आमने-सामने आ गए हैं। तुर्किये, जो अपनी पकड़ सीरिया में मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, वहीं इजरायल कुर्द समूहों को समर्थन दे रहा है, ताकि ईरानी प्रभाव को सीमित किया जा सके। इस संघर्ष में दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं, और यह स्थिति और अधिक जटिल हो गई है।



एर्दोगन ने तुर्किये को मुस्लिम दुनिया का नेतृत्वकर्ता बनाने का सपना देखा है, लेकिन इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस ख्वाहिश को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानते हैं। एर्दोगन की इजरायल विरोधी नीति और नेतन्याहू की दक्षिणपंथी सरकार के बीच बढ़ती तनातनी इस

 विवाद को और भड़का सकती है।



विशेषज्ञों का मानना है कि एर्दोगन के इस रुख से इजरायल और तुर्किये के रिश्तों में सुधार की कोई उम्मीद नहीं है। इसके अलावा, तुर्किये की जनता में इजरायल के प्रति गहरी नकारात्मकता भी सुधार की राह में एक बड़ी रुकावट साबित हो सकती है।


अगर यह तनाव और बढ़ता है, तो मध्य-पूर्व में एक और संघर्ष के आसार बन सकते हैं, जो न सिर्फ तुर्किये और इजरायल बल्कि पूरी क्षेत्रीय राजनीति को प्रभावित कर सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों देश अपनी-अपनी रणनीतियों में क्या बदलाव करते हैं और क्या संघर्ष को टाला जा सकता है।

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