कश्मीर की धारा बदल रही हैः गृहमंत्री अमित शाह के ऐतिहासिक बयान का महत्व

कश्मीर की धारा बदल रही हैः गृहमंत्री अमित शाह के ऐतिहासिक बयान का महत्व


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"कश्मीर की धारा बदल रही है: गृहमंत्री अमित शाह के ऐतिहासिक बयान का महत्व"


केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कश्मीर के विषय पर जो बयान दिया, वह भारत के इतिहास, संस्कृति और एकता की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके शब्दों ने न केवल कश्मीर के पुनः भारत के मुख्यधारा में आने को चिन्हित किया, बल्कि यह भी प्रदर्शित किया कि कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षण और सम्मान मिल रहा है। गृहमंत्री ने यह कहा कि कश्मीर अब विकास की दिशा में पूरी तरह से भारत के साथ चल पड़ा है, और यह उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मिल रही नीति और समर्थन का परिणाम है।

  

अमित शाह ने यह स्पष्ट किया कि कश्मीर में लोकतंत्र की स्थापना की गई है, और स्थानीय भाषाओं को मान्यता देकर प्रधानमंत्री मोदी ने यह सुनिश्चित किया है कि कश्मीर की सांस्कृतिक विविधता को हमेशा संरक्षित किया जाए। कश्मीरी, डोगरी, बालटी और झंस्कारी भाषाओं को अब सरकारी स्वीकृति मिल गई है, जो कि कश्मीर के स्थानीय निवासियों की पहचान और संस्कृति को दर्शाता है। गृहमंत्री ने इसे प्रधानमंत्री मोदी का कश्मीर के प्रति गहरे संवेदनशीलता का प्रतीक बताया, जो न केवल कश्मीर के विकास, बल्कि उसकी सांस्कृतिक और भाषाई विविधताओं की रक्षा में भी संलग्न हैं।


  

अमित शाह ने कश्मीर के भारत के साथ ऐतिहासिक संबंध पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग था और रहेगा। 1947 के बाद कश्मीर को भारत से अलग करने की कोशिशें की गई थीं, लेकिन अब वह कश्मीर की जनता की इच्छाशक्ति और सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ भारतीय संघ का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। गृहमंत्री ने यह भी कहा कि इतिहास को लुटियंस दिल्ली में बैठकर नहीं, बल्कि उसे जमीन पर जाकर और स्थानीय लोगों से समझकर लिखा जाना चाहिए। यह बयान दर्शाता है कि वह कश्मीर के बारे में गहरे अध्ययन और समझ के पक्षधर हैं।


गृहमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि कश्मीर को 'कश्यप की भूमि' के नाम से जाना जाता है, और शायद कश्मीर का नाम भी कश्यप से पड़ा हो। यह ऐतिहासिक संदर्भ कश्मीर के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को रेखांकित करता है, जो वर्षों से भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है। गृहमंत्री की यह टिप्पणी कश्मीर की प्राचीनता और उसके ऐतिहासिक गौरव को सम्मानित करती है। 


अमित शाह का बयान कश्मीर के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संदर्भ को सशक्त बनाता है। यह न केवल कश्मीर के विकास की दिशा को स्पष्ट करता है, बल्कि यह भी बताता है कि प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय सरकार कश्मीर की भाषा, संस्कृति, और सामाजिक धारा को एक नया सम्मान और सुरक्षा प्रदान कर रही है।

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