Bpsc ने Prashant Kishor से भ्रष्टाचार के सबूत की मांगी पुष्टि, भेजा कानूनी नोटिस!
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"बीपीएससी ने प्रशांत किशोर से भ्रष्टाचार के सबूत की मांगी पुष्टि, भेजा कानूनी नोटिस!"
बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने ज सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को कानूनी नोटिस भेजा है। यह नोटिस उनके द्वारा आयोग पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर आधारित है। बीपीएससी की लीगल टीम ने 2, 3 और 6 जनवरी को दिए गए उनके बयानों का हवाला देते हुए प्रशांत किशोर से सवाल किए हैं कि उन्होंने जिन आरोपों का जिक्र किया है, उनका क्या आधार है? आयोग ने उन्हें सात दिनों के भीतर साक्ष्य प्रस्तुत करने को कहा है, अन्यथा कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
प्रशांत किशोर ने हाल ही में 13 दिसंबर को आयोजित बीपीएससी 70वीं प्रारंभिक सिविल सेवा परीक्षा में कथित अनियमितताओं को लेकर जमकर आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि इस परीक्षा में लगभग 1000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है और पदों को बेचा गया है। उन्होंने इस मुद्दे पर आंदोलन भी शुरू किया है और 2 जनवरी से अनशन पर बैठे हैं। पीके की पार्टी ने इस मामले में पटना हाई कोर्ट में रिट याचिका भी दायर की है, जिसमें परीक्षा की निष्पक्षता की जांच और परिणामों की स्थगन की मांग की गई है। इस याचिका पर 15 जनवरी को सुनवाई होगी।
बीपीएससी की लीगल टीम ने इस गंभीर आरोपों के खिलाफ प्रशांत किशोर से ठोस साक्ष्य मांगते हुए उन्हें कानूनी नोटिस भेजा है। आयोग ने अपने बयान में कहा कि यदि वे आरोपों का समर्थन करने के लिए कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करते हैं, तो आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बीपीएससी के सचिव सत्य प्रकाश शर्मा ने बताया कि यह कार्रवाई अध्यक्ष के निर्देश पर की गई है और इसकी गंभीरता से जांच की जाएगी।
प्रशांत किशोर के आंदोलन के केंद्र में यह सवाल है कि क्या बीपीएससी की 70वीं परीक्षा में धांधली हुई थी और क्या इस परीक्षा के परिणामों को प्रभावित करने के लिए कोई भ्रष्टाचार हुआ था। पीके की जन सुराज पार्टी ने इस मुद्दे को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाया है और इस मामले में न्याय की मांग कर रही है। 15 जनवरी को पटना हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई इस पूरे मामले का अहम मोड़ हो सकती है।
बीपीएससी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर प्रशांत किशोर पर कानूनी शिकंजा कसता जा रहा है। हालांकि, उनके आंदोलन और याचिका से यह सवाल उठता है कि क्या बिहार की सरकारी परीक्षाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठाने की जरूरत है। यह विवाद तब और तेज हो गया जब प्रशांत किशोर ने 1000 करोड़ रुपये के घोटाले की बात की। इस मामले का अगला बड़ा कदम 15 जनवरी को पटना हाई कोर्ट में होगा, जब इस पर सुनवाई की जाएगी।
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