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**मकर संक्रांति पर बिहार में चूड़ा-दही भोज बना सियासी अखाड़ा, लालू और चिराग ने दिखाए राजनीतिक समीकरण**
मकर संक्रांति का पर्व बिहार में सिर्फ पारंपरिक उत्सव नहीं, बल्कि राजनीति का अहम हिस्सा भी बन गया है। हर साल की तरह इस बार भी चूड़ा-दही भोज के जरिए राजनीतिक दलों ने अपने-अपने गठबंधन और ताकत का प्रदर्शन किया। लालू प्रसाद यादव और चिराग पासवान के आयोजनों पर इस बार सभी की नजरें रहीं।
### **लालू यादव का चूड़ा-दही भोज**
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने आवास पर चूड़ा-दही भोज का आयोजन किया। हालांकि, इस बार यह भोज सीमित रहा। पहले यह कार्यक्रम पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता के लिए खुला रहता था, लेकिन अब केवल चुनिंदा नेताओं को ही आमंत्रित किया गया। लालू के आवास पर यह आयोजन राजद के भीतर एकजुटता और संगठनात्मक मजबूती का संदेश देने का प्रयास माना जा रहा है।
लालू के भोज में तेजस्वी यादव और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। यह कार्यक्रम पार्टी के भविष्य की योजनाओं और चुनावी रणनीतियों पर चर्चा के लिए एक मंच बन गया।
### **चिराग पासवान का एनडीए शक्ति प्रदर्शन**
दूसरी ओर, केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने अपने पार्टी कार्यालय में चूड़ा-दही भोज का आयोजन किया। इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और अन्य एनडीए नेताओं ने शिरकत की।
चिराग के भोज को एनडीए के एकजुटता का प्रदर्शन माना जा रहा है। यह आयोजन आगामी चुनावों से पहले एनडीए के मजबूत गठबंधन का संकेत देने के लिए अहम रहा। बीजेपी और जेडीयू के शीर्ष नेताओं की उपस्थिति ने इसे और भी खास बना दिया।
### **कांग्रेस और अन्य दलों के आयोजन**
कांग्रेस ने अपने पार्टी कार्यालय सदाकत आश्रम में चूड़ा-दही भोज का आयोजन किया। इसमें महागठबंधन के सभी नेताओं को आमंत्रित किया गया। यह आयोजन विपक्ष की एकता और रणनीति पर चर्चा का केंद्र बना।
उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने भी एनडीए के नेताओं के लिए अपने आवास पर भोज आयोजित किया, जिसमें राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान सहित कई दिग्गज शामिल हुए।
### **चूड़ा-दही भोज: राजनीति का मंच**
बिहार की राजनीति में चूड़ा-दही भोज केवल एक पारंपरिक आयोजन नहीं, बल्कि सियासी समीकरणों को साधने का एक जरिया बन गया है। यह भोज नेताओं के बीच संवाद और गठबंधन को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है।
इस साल के आयोजन ने यह साफ कर दिया कि मकर संक्रांति का यह पर्व अब बिहार की राजनीति का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है। जहां लालू यादव ने अपनी पार्टी में एकजुटता का संदेश दिया, वहीं चिराग पासवान ने एनडीए के भीतर शक्ति प्रदर्शन किया। आगामी चुनावों के लिहाज से ये आयोजन कितने कारगर साबित होंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।
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