महाकुंभ 2025: 'दादी' ने बदला बयान, कुंभ मेले में खोने के बाद अब खुलासा किया सच्चाई
YouTube video link....https://youtu.be/5eGwQnxzCBg
**महाकुंभ 2025: 'दादी' ने बदला बयान, जानिए क्या है पूरी सच्चाई**
**नई दिल्ली, 2 फरवरी 2025:** महाकुंभ 2025 में बिछड़ी हुई एक बुजुर्ग महिला, देवराज देवी का वीडियो पहले वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके बेटे ने उन्हें कुंभ मेला लाकर छोड़ दिया था। अब, उस बयान से पलटते हुए, उन्होंने अपने पोते के साथ एक नया वीडियो जारी किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि वह अपनी मर्जी से कुंभ मेला गई थीं और अपने बयान को गलत तरीके से दिया था।
यह पूरा मामला वैशाली जिले के राघोपुर प्रखंड की देवराज देवी से जुड़ा है, जिनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वीडियो में देवराज देवी कह रही थीं कि उनका बेटा उन्हें कुंभ लाया था और फिर छोड़कर चला गया। वीडियो में वह रोते हुए नजर आ रही थीं, जिससे लोगों में संवेदना और गुस्सा दोनों ही पैदा हुए। कई लोगों ने उनके बेटे को बेरहम और दिलless करार दिया।
हालांकि अब, देवराज देवी ने अपने बयान को बदलते हुए कहा कि वह **कुंभ मेला अकेले नहीं आई थीं**, बल्कि वह **गांव की महिलाओं** के साथ आई थीं और रास्ता भटकने के कारण वह मेला परिसर में गुम हो गई थीं। पोते गोलू कुमार ने इस वीडियो को जारी करते हुए कहा कि उनकी दादी ने पहले जो बयान दिया था, वह बस एक **भावनात्मक बयान** था, जिसे उन्होंने **अभी सही तरीके से स्पष्ट किया**।
### **बयान बदलने का कारण क्या है?**
देवराज देवी ने वीडियो में कहा कि उन्होंने **'अपने बेटे पर जो आरोप लगाए थे, वह बिना सोच-समझ के लगाए थे'** और उन्होंने यह सब सिर्फ इसलिए कहा क्योंकि वह घबराहट और अवसाद की स्थिति में थीं। उनके अनुसार, वह बिना किसी को बताए घर से बाहर निकलीं और वहां पर भटकने के बाद उन्हें समझ में नहीं आया कि क्या हुआ।
उनका कहना था, *"मैं अपनी पड़ोसी के कहने पर ही कुंभ मेला आई थी। मुझे खुद भी नहीं पता था कि मैं यहां क्यों आई।"*
### **गोलू कुमार का कहना**
गोलू कुमार ने इस पूरे मामले पर कहा कि **उनकी दादी ने बिना बताये घर से कुंभ के लिए निकलने का फैसला लिया था** और घरवालों की चिंता के बावजूद वह मेला पहुंची थीं। बाद में जब वह वहां गुम हो गईं, तो उन्होंने घरवालों को परेशान किया और बिना सोचे-समझे बयान दे दिए।
गोलू ने कहा कि उन्हें और उनके परिवार को अब राहत है कि उनकी दादी **सुरक्षित घर वापस लौट आईं हैं** और उन्होंने खुद बताया कि अब कोई समस्या नहीं है।
### **सोशल मीडिया पर बढ़ी बहस**
इस पूरे घटनाक्रम ने सोशल मीडिया पर एक बहस छेड़ दी है। कई लोग यह कह रहे हैं कि बिना तथ्यों की जांच किए **बेटे को दोषी ठहराना गलत था** और उन्हें इस मामले में बिना जल्दबाजी किए विचार करना चाहिए था। वहीं, कुछ लोग बुजुर्गों की भावनाओं को लेकर यह कह रहे हैं कि यह भी एक प्रकार का **मनोवैज्ञानिक प्रभाव** हो सकता है, जिससे ऐसे बयान दिए गए।
### **मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण**
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि **इस उम्र में बुजुर्गों को कभी-कभी अपनी इच्छाओं की पूर्ति नहीं हो पाती**, जिससे वे ऐसी बातों को बिना सोचे-समझे कह सकते हैं। कई बार वे अपनी गलतफहमियों को भी सच मान लेते हैं, विशेष रूप से ऐसी स्थितियों में जब वे भावनात्मक रूप से परेशान होते हैं।
### **क्या यह हम सभी के लिए एक सीख है?**
यह घटना हमें सिखाती है कि **कभी भी किसी की स्थिति या भावनाओं को हल्के में नहीं लेना चाहिए**। बुजुर्गों की देखभाल और उनके साथ बातचीत करते समय हमें अधिक संवेदनशील और समझदार होना चाहिए। यह भी दिखाता है कि हमें **सोशल मीडिया पर किसी भी वीडियो या खबर को बिना पूरी जानकारी के नहीं मान लेना चाहिए**।
हम सभी को यह समझना चाहिए कि **हर बात की एक गहरी सच्चाई होती है**, और कभी-कभी लोग अपनी भावनाओं के तहत गलत बयान भी दे सकते हैं।
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