28 फरवरी को "जीतन राम मांझी करने जा रहे हैं ऐसा काम जिस से  बिहार की सियासत में मचने वाला है तूफ़ान?......."

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28 फरवरी को पटना के गांधी मैदान में होगा 'दलित समागम', दिखाएंगे अपनी ताकत: हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM)

 केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) इसी माह 28 फरवरी को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में एक विशाल दलित समागम आयोजित करने जा रहा है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य पार्टी की शक्ति का प्रदर्शन करना और विशेष रूप से दलित समुदायों के बीच समर्थन जुटाना है, साथ ही आगामी चुनावों में अपनी राजनीतिक स्थिति को फिर से मजबूत करना है।

इस आयोजन की तैयारियों को लेकर पार्टी द्वारा बुधवार को एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की शुरुआत पार्टी नेताओं ने संत रविदास जयंती के अवसर पर फूल-मालाओं से पुष्पांजलि अर्पित कर की

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार सरकार के मंत्री डॉ. संतोष कुमार सुमन ने इस मौके पर कहा कि हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा अब पहले से कहीं अधिक मजबूत हो चुका है। उन्होंने विश्वास जताया कि आगामी विधानसभा चुनावों में जब एनडीए गठबंधन चुनाव लड़ेगा, तो HAM अपनी ताकत से चुनावी मैदान में मजबूती से दिखेगा। "हम अब पहले से ज्यादा ताकतवर हैं और विधानसभा चुनावों में हमारी भूमिका अहम होगी," डॉ. सुमन ने कहा।


पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि अब तक 19 जिलों में एनडीए गठबंधन के कार्यकर्ता सम्मेलन में पार्टी का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है। "हम उम्मीद करते हैं कि बाकी जिलों में भी हमारा प्रदर्शन इससे बेहतर होगा," उन्होंने कहा, जो पार्टी के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।


पार्टी के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता श्याम सुंदर शरण ने कहा कि 28 फरवरी को होने वाला दलित समागम संवाद बिहार के कोने-कोने से बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करेगा। उनका कहना था कि यह आयोजन दलित समुदाय के मुद्दों को प्रमुखता से उठाने और पार्टी की शक्ति को प्रदर्शित करने का एक बड़ा मंच होगा।


जीतन राम मांझी की राजनीतिक यात्रा में यह समय बहुत ही हलचल भरा रहा है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली, जिसके बाद वे नाराज हो गए थे। उन्होंने बीजेपी का नाम लिए बिना कहा था कि लोग उनकी पार्टी की ताकत को कम आंकते हैं, लेकिन बिहार में वे अपनी ताकत दिखा देंगे। इस बयान से सियासी हलकों में भूचाल आ गया था। 


हालांकि, अगले ही दिन मांझी ने अपने बयान से पलटी मारते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हमेशा खड़े रहने की बात कही। इस बदलाव ने उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठाए, लेकिन साथ ही यह भी साबित किया कि वे बिहार में अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करने के लिए लगातार सक्रिय हैं।


28 फरवरी का दलित समागम बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। गांधी मैदान, जो ऐतिहासिक रूप से कई महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह रहा है, अब HAM के इस आयोजन का साक्षी बनेगा। पार्टी अपनी ताकत दिखाने के साथ-साथ दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा करने का संदेश देगी। 


आने वाले दिनों में HAM और अधिक रैलियां और जनसंपर्क कार्यक्रम आयोजित कर अपनी राजनीतिक स्थिति को और मजबूत कर सकती है। अब यह देखना होगा कि पार्टी अपनी जनाधार की ताकत को चुनावी सफलता में बदल पाती है या नहीं, लेकिन यह तय है कि जीतन राम मांझी और उनका दल बिहार की राजनीति में अपनी धाक जमाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

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