नीतीश होगये है BJP के सामने लाचार मुख्यमंत्री पद भी छोड़ने को होजायँगे तैयार ?
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बिहार में नीतीश कैबिनेट का विस्तार: बीजेपी के दबाव में नीतीश कुमार, विपक्ष ने किया हमला
बिहार में बुधवार, 26 फरवरी 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया, लेकिन इस बार का कैबिनेट विस्तार राज्य की सियासत में एक नई हलचल पैदा कर गया है। इस विस्तार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सात विधायकों को मंत्री बनाया गया, लेकिन दिलचस्प बात यह रही कि नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) से कोई भी विधायक मंत्री पद की शपथ नहीं ले सका। इस फैसले ने बिहार की राजनीति में तूफान मचा दिया है, और विपक्ष ने इसे लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला किया है।
विपक्ष ने यह आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी के दबाव में आकर पूरी तरह से लाचार और बेबस हो गए हैं। उनका कहना है कि नीतीश कुमार अपनी पार्टी के विधायकों को मंत्री बनाने में असमर्थ रहे और बीजेपी के आगे उनके हाथ झुके हुए हैं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह घटनाक्रम यह दर्शाता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब महज एक "मुखौटा" बनकर रह गए हैं, जबकि असल सत्ता का संचालन बीजेपी के हाथों में चला गया है।
राजद (राष्ट्रीय जनता दल) की नेता और लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने इस पर सीधे नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, "नीतीश कुमार जी की कैबिनेट पर विखंडनकारी बीजेपी का कब्जा... कैबिनेट विस्तार में अपनी पार्टी के एक भी मंत्री को शपथ नहीं दिला सके नीतीश कुमार... बीजेपी का फरमान मानने को लाचार - बेबस - निरीह, महज मुखौटा नीतीश कुमार... मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी फिर भी कैबिनेट विस्तार पर मुहर लगा रहे हैं, बीजेपी आलाकमान की सहमति से!"
इस कैबिनेट विस्तार में बीजेपी के सात विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई, जिनमें दरभंगा के विधायक संजय सरावगी, जाले के जिवेश मिश्रा, साहेबगंज के राजू कुमार सिंह, सिकटी के विजय कुमार मंडल, बिहारशरीफ के सुनील कुमार, रीगा के मोतीलाल प्रसाद और अमनौर के कृष्ण कुमार मंटू शामिल हैं। यह विस्तार इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि यह बीजेपी के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है, जबकि नीतीश कुमार की पार्टी JDU इस प्रक्रिया से पूरी तरह से बाहर रही।
बिहार की सियासत में इस घटनाक्रम को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह विस्तार बीजेपी के बढ़ते प्रभाव और नीतीश कुमार की कमजोर स्थिति को दिखाता है। राज्य की राजनीति में बीजेपी की ताकत लगातार बढ़ रही है, और नीतीश कुमार को अपनी पार्टी के विधायकों को मंत्री बनाने का मौका नहीं मिल पा रहा है, जो पार्टी के अंदर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।
इस बीच, नीतीश कुमार और उनकी पार्टी JDU ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। हालांकि, यह स्थिति उनके लिए राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि इससे उनके समर्थन आधार में और अधिक दरारें आ सकती हैं। विपक्ष इस घटनाक्रम का पूरा फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है और आगामी चुनावों में इसका भरपूर प्रचार करने की योजना बना रहा है।
बिहार में यह कैबिनेट विस्तार इसलिए भी चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि यह राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को बदलने वाला हो सकता है। बीजेपी के मंत्री पदों में अपनी बढ़त और नीतीश कुमार की पार्टी का कमजोर होना यह संकेत देता है कि आने वाले समय में बिहार की राजनीति में नए समीकरण देखने को मिल सकते हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार इस बढ़ते दबाव का सामना कैसे करते हैं और क्या वह अपनी पार्टी को मजबूत कर पाएंगे, या फिर बीजेपी के दबाव में और भी ज्यादा कमजोर हो जाएंगे। बिहार की राजनीति में यह घटनाक्रम एक नए मोड़ की ओर बढ़ रहा है, और इसके प्रभाव से न सिर्फ राज्य की राजनीति, बल्कि आगामी चुनावों पर भी असर पड़ सकता है।
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