तीन भाषा नीति पर बवाल ! DMK सांसद ए राजा का विवादित बयान - BJP का तीखा हमला
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### **तीन भाषा नीति पर सियासी संग्राम! DMK सांसद ए राजा के बयान पर BJP का तीखा पलटवार – 'इनका दिमाग हिल गया है!'**
देश में एक बार फिर भाषा को लेकर सियासत गर्म हो गई है। केंद्र सरकार की तीन भाषा नीति पर डीएमके (DMK) सांसद ए राजा के विवादित बयान ने तूल पकड़ लिया है। ए राजा ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि *"हम अलगाववादी नहीं हैं, लेकिन हमें अलगाववादी बनने पर मजबूर किया जा रहा है।"* इस बयान के बाद राजनीति गरमा गई और बीजेपी (BJP) ने इसे देश को बांटने की साजिश करार दिया। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. अजय आलोक ने ए राजा के बयान पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि *"इनका दिमाग हिल गया है, ये लोग हमेशा देश को बांटने की कोशिश करते हैं, कभी भाषा के नाम पर, कभी धर्म और कभी क्षेत्रवाद के नाम पर।"*
### **BJP का कड़ा जवाब – 'तीन भाषा नीति किसी पर थोपी नहीं जा रही'**
बीजेपी प्रवक्ता अजय आलोक ने डीएमके के इस रुख को पूरी तरह से गलत ठहराते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति (NEP) किसी पर थोपी नहीं जा रही। उन्होंने कहा, *"नई एजुकेशन पॉलिसी डीएमके को समझ नहीं आई है। तीन भाषाएं हैं, लेकिन किसी पर कोई भाषा थोपी नहीं जा रही। यह नीति छात्रों और जनता को समग्र भाषाओं की जानकारी देने के लिए बनाई गई है।"*
अजय आलोक ने आगे कहा कि *"सभी भाषाओं का सम्मान होता है, लेकिन डीएमके भाषा के आधार पर खुद को अलगाववादी दिखाने की कोशिश कर रही है। यह घृणित राजनीति बंद होनी चाहिए।"*
### **आरजेडी ने भी बोला हमला**
सिर्फ बीजेपी ही नहीं, बल्कि आरजेडी (RJD) ने भी ए राजा के बयान पर कड़ा रुख अपनाया है। आरजेडी प्रवक्ता ऋषि मिश्रा ने कहा कि भारत सरकार को याद रखना चाहिए कि हमारा देश बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के बनाए संविधान पर चलेगा, न कि किसी पार्टी की मनमर्जी पर। उन्होंने कहा, *"देश में सरकार भाषा और धर्म के नाम पर नहीं चल सकती। बीजेपी हमेशा भाषा और धर्म के नाम पर लोगों को बांटने की राजनीति करती है, लेकिन अब जनता इसे सहन नहीं करेगी।"*
### **क्या कहा था DMK सांसद ए राजा ने?**
डीएमके सांसद ए राजा ने केंद्र सरकार की भाषा नीति की आलोचना करते हुए कहा था, *"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में भाषाई विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। हम अलगाववादी नहीं हैं, लेकिन हमें अलगाववादी बनने पर मजबूर किया जा रहा है।"* उन्होंने तीन भाषा नीति को तमिलनाडु और दक्षिण भारत के लोगों के खिलाफ बताया और कहा कि बीजेपी जबरदस्ती हिंदी और संस्कृत थोपने की कोशिश कर रही है।
### **भाषा पर क्यों मचा बवाल?**
दरअसल, केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत देशभर में तीन भाषा फॉर्मूला अपनाने की बात कही गई है। इसमें हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषा को शामिल करने की बात है। लेकिन दक्षिण भारत के कई राज्यों को यह फॉर्मूला पसंद नहीं आ रहा है। डीएमके समेत कई दल इसे 'हिंदी थोपने की कोशिश' करार दे रहे हैं। यही वजह है कि तमिलनाडु से लेकर अन्य राज्यों में इस पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
### **क्या आगे भी जारी रहेगा यह विवाद?**
भाषा को लेकर सियासी संग्राम कोई नया नहीं है। दक्षिण भारत के कई दल पहले भी हिंदी को जबरदस्ती थोपने का आरोप लगाते रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या बीजेपी और डीएमके इस मुद्दे पर आम सहमति बना पाएंगे, या फिर यह विवाद और गहराएगा? यह तो आने वाले समय में ही साफ होगा, लेकिन फिलहाल यह मुद्दा पूरे देश में गरमा गया है।
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