चुनाव से पहले जेपी की राह पर प्रशांत किशोर? PK की नई चाल – क्या युवा समागम से बदलेंगे चुनावी समीकरण?
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क्या बिहार की राजनीति में नया मोड़ आने वाला है?
क्या जेपी की राह पर चल रहे हैं प्रशांत किशोर?
क्या छात्रों के सहारे अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत कर रहे हैं PK?
क्या बिहार की राजनीति में युवाओं की भूमिका बढ़ने वाली है?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। हर पार्टी अपनी रणनीति बनाने में जुटी है, लेकिन इन सबके बीच एक बड़ा नाम जो सुर्खियों में है, वह है **प्रशांत किशोर**। जी हां, जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर बिहार में **युवा शक्ति** को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
आज (शुक्रवार) पटना के सत्याग्रह आश्रम में **युवा समागम** का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में छात्रों के जुटने का दावा किया गया है। प्रशांत किशोर इस आयोजन के जरिए यह साबित करना चाहते हैं कि **युवाओं की आवाज** को अनसुना करना अब किसी भी राजनीतिक दल के लिए आसान नहीं होगा।
### **छात्रों के सहारे प्रशांत किशोर की सियासी बिसात?**
बिहार की राजनीति में छात्रों की हमेशा से बड़ी भूमिका रही है। जेपी आंदोलन से लेकर हाल के दिनों में बीपीएससी अभ्यर्थियों के आंदोलनों तक, छात्रों ने हमेशा सत्ता को चुनौती दी है। अब **प्रशांत किशोर** इसी ताकत को अपनी रणनीति का हिस्सा बना रहे हैं।
याद कीजिए, जब प्रशांत किशोर ने **BPSC 70वीं पीटी परीक्षा** को दोबारा कराने की मांग को लेकर 15 दिनों तक **आमरण अनशन** किया था। उन्होंने 2 जनवरी को गांधी मैदान में अनशन शुरू किया था, लेकिन 6 जनवरी को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी उन्होंने अपना अनशन जारी रखा और **16 जनवरी को गंगा स्नान** करके इसे खत्म किया।
प्रशांत किशोर ने साफ कर दिया था कि उनका सत्याग्रह रुकेगा नहीं। अब **युवा समागम** के जरिए वह छात्रों को संगठित कर अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने में जुटे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या बिहार की जनता, खासकर छात्र, प्रशांत किशोर की इस मुहिम को समर्थन देंगे?
### **क्या PK बन सकते हैं छात्रों की आवाज?**
बिहार के युवा लंबे समय से रोजगार और शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। **BPSC परीक्षा में गड़बड़ियों** को लेकर छात्रों का गुस्सा फूटा था, लेकिन क्या प्रशांत किशोर इस गुस्से को अपने पक्ष में मोड़ पाएंगे?
सियासी जानकार मानते हैं कि बिहार की राजनीति में छात्र शक्ति हमेशा से महत्वपूर्ण रही है। 70 के दशक में **जेपी आंदोलन**, 90 के दशक में **लालू यादव का उभार** और अब 2025 में प्रशांत किशोर युवाओं के सहारे **सत्ता में दावेदारी पेश करने की कोशिश कर रहे हैं**।
### **युवा समागम: प्रशांत किशोर की सियासी परीक्षा?**
प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि उनके **युवा समागम** में हजारों छात्र जुटेंगे। लेकिन यह भी देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह भीड़ सिर्फ एक आयोजन तक सीमित रहेगी या फिर यह कोई बड़ा आंदोलन बनेगा?
बीजेपी और जेडीयू की सरकार पर लगातार हमलावर रहे प्रशांत किशोर **नीतीश कुमार** और **भाजपा** पर तुष्टीकरण की राजनीति करने और युवाओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशांत किशोर अपने इस अभियान से बिहार की राजनीति में नई हलचल ला पाएंगे?
### **क्या बिहार की सियासत में बड़ा बदलाव आने वाला है?**
चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में हर दिन नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। महागठबंधन से लेकर एनडीए तक हर दल अपनी रणनीति को धार देने में लगा है। लेकिन **क्या प्रशांत किशोर की यह युवा राजनीति कोई नई लहर लाने वाली है?**
यह देखना दिलचस्प होगा कि **युवा समागम के बाद बिहार की सियासत में कौन सा नया अध्याय जुड़ता है**। क्या PK बिहार में तीसरी राजनीतिक ताकत बन सकते हैं? या फिर यह सिर्फ चुनावी चर्चा तक ही सीमित रहेगा?
आपकी इस पर क्या राय है? क्या प्रशांत किशोर छात्रों के दम पर बिहार की राजनीति में नया इतिहास रच सकते हैं?
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