बिहार में ज़मीन सर्वे की मियाद बढ़ी!सरकार का बड़ा फैसला या चुनावी चाल?जानिए क्या मिलेगा फायदा! #biharlandsurvey #biharbhumijankari #breakingnews #latestnews #news #biharnews #nitishkumar
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### **बिहार में ज़मीन सर्वे की मियाद बढ़ी! सरकार का बड़ा फैसला या चुनावी चाल? जानिए आम जनता को क्या मिलेगा फायदा!**
**पटना:** बिहार सरकार ने राज्य में चल रहे भूमि सर्वेक्षण की समय सीमा को **जुलाई 2026 से बढ़ाकर दिसंबर 2026** कर दिया है। यह फैसला आम लोगों को राहत देने और सर्वेक्षण कार्य में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए लिया गया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह सिर्फ प्रशासनिक निर्णय है या इसके पीछे कोई राजनीतिक गणित छिपा है?
### **क्या है बिहार भूमि सर्वेक्षण और क्यों है यह जरूरी?**
बिहार में भूमि विवाद एक बड़ा मुद्दा रहा है। वर्षों से जमीनी रजिस्ट्रेशन, कब्जा, और स्वामित्व को लेकर कानूनी पचड़े चलते आए हैं। इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य **डिजिटल भूमि रिकॉर्ड तैयार करना** और **भू-विवादों को खत्म करना** है, ताकि हर व्यक्ति को अपनी जमीन के स्वामित्व के स्पष्ट कागजात मिल सकें।
### **जनता को क्या मिलेगा फायदा?**
- **स्पष्ट भूमि रिकॉर्ड:** लोगों को अपनी ज़मीन के स्वामित्व का प्रमाण आसानी से मिल सकेगा।
- **भू-माफियाओं पर रोक:** अवैध कब्जों और ज़मीन के फर्जीवाड़े पर लगाम लगेगी।
- **डिजिटल सुविधा:** जमीन के दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध होंगे, जिससे सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं होगी।
- **निवेश में बढ़ोतरी:** स्पष्ट ज़मीन रिकॉर्ड होने से राज्य में उद्योग और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश बढ़ेगा।
### **सरकार की मजबूरी या चुनावी चाल?**
बिहार में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में इस फैसले को राजनीतिक नजरिए से भी देखा जा रहा है। सरकार ने समय सीमा बढ़ाकर एक ओर **जनता को राहत देने की कोशिश की है**, वहीं दूसरी ओर **चुनावी मुद्दा** भी तैयार कर लिया है। विपक्ष इसे सिर्फ "लुभावना वादा" बता रहा है और आरोप लगा रहा है कि सर्वे के नाम पर सरकार लोगों को गुमराह कर रही है।
### **क्या बढ़ेगी और भी समय सीमा?**
सरकार ने भूधारकों के लिए **स्व-घोषणा दस्तावेज अपलोड करने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2025** तय की थी। हालांकि, इसमें कई **तकनीकी दिक्कतें** सामने आई हैं, जिससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि सरकार इसे आगे बढ़ा सकती है। बिहार के राजस्व और भूमि सुधार मंत्री **संजय सरावगी** ने भी इस संभावना को नकारा नहीं है।
### **आगे क्या?**
अगर सर्वेक्षण सुचारू रूप से पूरा होता है तो **बिहार देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो जाएगा जहां डिजिटल भूमि रिकॉर्ड की व्यवस्था पूरी तरह लागू हो चुकी होगी**। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह योजना वाकई समय पर पूरी होगी, या फिर इसे बार-बार आगे बढ़ाकर सिर्फ चुनावी एजेंडा बनाया जाएगा?
### **निष्कर्ष:**
बिहार सरकार का यह फैसला लाखों लोगों के लिए राहत भरा हो सकता है, लेकिन इसमें **पारदर्शिता और समयबद्धता** सबसे बड़ी चुनौती होगी। क्या सरकार अपने वादे को पूरा करेगी या यह सिर्फ कागजों तक सीमित रहेगा? यह देखने वाली बात होगी!
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