बिहार की राजनीति में भूचाल! लालू-नीतीश-मोदी सब फेल? जनता अब खुद बनाएगी सरकार?

बिहार की राजनीति में भूचाल! लालू-नीतीश-मोदी सब फेल? जनता अब खुद बनाएगी सरकार?

 

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# **बिहार की राजनीति में भूचाल! लालू-नीतीश-मोदी सब फेल? जनता अब खुद बनाएगी सरकार?**  

**बिहार में राजनीति का पारा चढ़ चुका है। जन सुराज उद्घोष यात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने जो सवाल उठाए हैं, उसने बिहार की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। क्या बिहार की जनता अब सच में बदलाव के लिए तैयार है? क्या लालू, नीतीश और मोदी की राजनीति बिहार की जनता को अब ठग नहीं पाएगी? क्या इस बार जनता खुद अपनी सरकार बनाएगी?**  

## **बिहार में राजनीति का नया खेल!**  

बिहार की राजनीति दशकों से कुछ खास नामों के इर्द-गिर्द घूम रही है—**लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी।** लालू यादव ने जहां जातीय समीकरणों के दम पर लंबे समय तक बिहार पर राज किया, वहीं नीतीश कुमार ने खुद को ‘सुशासन बाबू’ कहकर सत्ता संभाली। दूसरी ओर, मोदी सरकार का प्रभाव बिहार में बढ़ता चला गया। लेकिन सवाल यह है कि **क्या इन तीनों नेताओं ने बिहार की असली समस्याओं को हल किया?**  


## **30 साल से बिहार क्यों ठगा जा रहा है?**  


प्रशांत किशोर ने हाल ही में एक जनसभा में जनता से पूछा—"क्या बिहार की जनता को रोजगार मिला? क्या बिहार की शिक्षा व्यवस्था सुधरी? क्या बिहार में फैक्ट्री लगी?"  

जनता से सिर्फ एक ही आवाज आई—**"नहीं!"**  


**नीतीश कुमार ने 17 साल तक सरकार चलाई, लेकिन बिहार के हालात क्यों नहीं बदले? लालू यादव ने 15 साल शासन किया, लेकिन बिहार पिछड़ेपन से क्यों नहीं निकला?**  


## **मोदी सरकार पर भी उठे सवाल**  


प्रशांत किशोर ने **प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी** पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि **"मोदी जी बिहार के लोगों से वोट तो लेते हैं, लेकिन जब उद्योग लगाने की बात आती है तो बिहार के बजाय गुजरात को तरजीह देते हैं।"**  

उन्होंने जनता से पूछा—"अगर वोट बिहार का है तो फैक्ट्री गुजरात में क्यों लग रही है?"  


यह सवाल बेहद गंभीर है। बिहार के युवा **दिल्ली, मुंबई और पंजाब** में जाकर मजदूरी करने को मजबूर हैं, लेकिन बिहार में उनके लिए कोई ठोस नीति क्यों नहीं बनाई गई?  


## **क्या जनता सच में बदलाव चाहती है?**  


प्रशांत किशोर ने जब मंच से जनता से सवाल किया—  

**"क्या नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए?"**  

भीड़ से जोरदार आवाज आई—**"नहीं!"**  


फिर उन्होंने पूछा—  

**"अगर नरेंद्र मोदी कहें कि नीतीश को वोट दो, तो क्या दोगे?"**  

जनता ने फिर कहा—**"नहीं!"**  


इसका मतलब साफ है कि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह बदलाव सिर्फ नारों तक सीमित रहेगा या सच में बिहार की सियासत की तस्वीर बदलेगी?  


## **जनता का राज कैसा होगा?**  


प्रशांत किशोर ने जनता को एक नया नारा दिया है—**"इस बार न मोदी, न नीतीश, न लालू—इस बार सिर्फ जनता का राज!"**  

लेकिन सवाल यह उठता है कि **जनता का राज आएगा कैसे?** क्या कोई नया राजनीतिक दल बिहार की सत्ता में आ सकता है? क्या जनता सच में जातिवाद और धर्मवाद से ऊपर उठकर सिर्फ विकास के नाम पर वोट करेगी?  


## **बिहार की सबसे बड़ी समस्या—रोजगार!**  


बिहार की सबसे बड़ी समस्या **रोजगार** है।  

- **हर साल लाखों युवा बिहार से बाहर जाते हैं**, क्योंकि उन्हें यहां नौकरी नहीं मिलती।  

- **बिहार में इंडस्ट्रीज़ क्यों नहीं लग रही?**  

- **क्या सरकार की कोई ठोस योजना है, जो बिहार में निवेश को बढ़ावा दे?**  


अगर बिहार की जनता को सच में बदलाव चाहिए, तो **इस बार वोट सिर्फ विकास के नाम पर होना चाहिए, न कि किसी पार्टी के झूठे वादों पर।**  


## **क्या बिहार में नया राजनीतिक विकल्प उभरेगा?**  


अगर प्रशांत किशोर या कोई अन्य नया नेतृत्व बिहार में उभरता है, तो क्या जनता उसे स्वीकार करेगी?  

या फिर वही पुरानी राजनीति, वही वादे, वही नतीजे देखने को मिलेंगे?  


## **अब जनता को तय करना है!**  


अब फैसला बिहार की जनता के हाथ में है।  

- **क्या इस बार जाति और धर्म से ऊपर उठकर सिर्फ विकास के नाम पर वोट पड़ेगा?**  

- **क्या इस बार सच में कोई नया राजनीतिक विकल्प मिलेगा?**  

- **या फिर वही पुरानी राजनीति, वही वादे, वही धोखा दोहराया जाएगा?**  


### **आपकी राय क्या है?**  

कमेंट करके हमें बताइए कि **क्या बिहार में सच में बदलाव आएगा या नहीं?**  

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