संजय झा और विजय चौधरी के साथ क्या संदेश दे रहे है निशांत के संबंध?.....
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बिहार की राजनीति में इन दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार को लेकर जबरदस्त हलचल मची हुई है। राजनीतिक गलियारों में उनकी संभावित एंट्री की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं, और इस चर्चा को हवा देने का काम खुद जेडीयू के नेताओं ने किया है। ताजा घटनाक्रम में जेडीयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह ने बड़ा दावा किया है कि **निशांत अब जेडीयू में शामिल हो चुके हैं और जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी।** उनके इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में भूचाल सा आ गया है।
इस बीच सोशल मीडिया पर दो तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिसने अटकलों को और मजबूत कर दिया है। इन तस्वीरों में निशांत कुमार, जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और मंत्री विजय चौधरी के साथ नजर आ रहे हैं। फोटो में तीनों बेहद सहज दिख रहे हैं, जिससे यह संकेत मिल रहा है कि पार्टी के अंदर निशांत का स्वागत पहले ही हो चुका है। तस्वीरों में उनका जो आत्मविश्वास नजर आ रहा है, उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि जेडीयू के अंदरूनी स्तर पर उनके प्रवेश को लेकर सहमति बन चुकी है।
हालांकि, इस पूरे प्रकरण का एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि **नीतीश कुमार ने हमेशा परिवारवाद की राजनीति का विरोध किया है।** उन्होंने अब तक अपने परिवार के किसी भी सदस्य को राजनीति में आगे नहीं बढ़ाया। लेकिन अगर निशांत कुमार सक्रिय राजनीति में आते हैं, तो यह नीतीश कुमार के लिए एक नई चुनौती होगी। विपक्ष निश्चित रूप से उन पर तीखे सवाल उठाएगा और यह मुद्दा 2025 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक बड़ा राजनीतिक रंग ले सकता है।
इस बीच, जेडीयू कार्यकर्ताओं की मांग भी सामने आने लगी है कि निशांत कुमार **नालंदा के हरनौत विधानसभा सीट से चुनाव लड़ें।** यह वही सीट है, जहां से नीतीश कुमार कई बार विधायक रह चुके हैं। पार्टी के कई कार्यकर्ता निशांत कुमार को एक युवा, शिक्षित और तकनीकी रूप से कुशल नेता के रूप में पेश करना चाहते हैं, जिससे पार्टी को एक नई ऊर्जा मिल सके। यही कारण है कि पटना में जेडीयू दफ्तर के बाहर कई पोस्टर लगाए गए हैं, जिनमें निशांत से राजनीति में आने की अपील की गई है।
इन तमाम अटकलों के बावजूद, निशांत कुमार ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं, नीतीश कुमार ने भी इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। हालांकि, निशांत कुमार कई बार यह कह चुके हैं कि **जनता को फिर से उनके पिता को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए और एनडीए की सरकार वापस लानी चाहिए।** लेकिन क्या वह खुद इस राजनीतिक लड़ाई में कूदेंगे या फिर यह सिर्फ चर्चाओं तक सीमित रहेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हो सकता है, जिससे बिहार की सियासत में एक नया मोड़ आ सकता है।
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