बीजेपी का बड़ा दांव ! क्या चुनावों पर बिखेरेगा असर?..
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बिहार की राजनीति और सहकारिता क्षेत्र में एक बड़े बदलाव की आहट सुनाई देने लगी है। केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह 29 और 30 मार्च को दो दिवसीय दौरे पर बिहार पहुंच रहे हैं। इस दौरे के दौरान वह सहकारिता क्षेत्र की कई महत्वपूर्ण योजनाओं का उद्घाटन करेंगे और नए कार्यक्रमों का ऐलान भी कर सकते हैं। उनके इस दौरे को आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि बिहार में बीजेपी सहकारिता को अपने चुनावी एजेंडे का एक मजबूत आधार बनाने की तैयारी कर रही है।
29 मार्च की शाम को अमित शाह पटना पहुंचेंगे, जहां पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और संगठन के पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगे। अगले दिन यानी 30 मार्च को पटना के बापू सभागार में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें सहकारिता क्षेत्र से जुड़े हजारों प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस कार्यक्रम में राज्य के 5350 पैक्स, मत्स्यजीवी सहयोग समितियां, बुनकर सहयोग समितियां, 1000 दुग्ध उत्पादक सहयोग समितियां, 300 प्रखंडस्तरीय सब्जी उत्पादक सहयोग समितियां और 300 हैंडलूम वीवर्स समितियों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। यह पहला मौका होगा जब बिहार में सहकारिता से जुड़े इतने बड़े स्तर पर योजनाओं को गति देने का प्रयास किया जा रहा है।
गृह मंत्री इस अवसर पर बिहार राज्य सहकारी बैंक द्वारा बैंक मित्र के रूप में समितियों को माइक्रो एटीएम भी वितरित करेंगे, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में डोर-स्टेप बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी। यह योजना सहकारी समितियों के माध्यम से चलाई जाएगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और छोटे किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त करने में मदद मिलेगी। सहकारिता क्षेत्र में डिजिटल बैंकिंग की इस नई पहल को सरकार की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
अमित शाह अपने इस दौरे में दरभंगा में मखाना प्रोसेसिंग सेंटर का उद्घाटन करेंगे, जिससे मखाना उत्पादक किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा। इस प्रोसेसिंग सेंटर के माध्यम से मखाना का मूल्य संवर्धन किया जाएगा और किसानों को स्थायी बाजार के साथ उचित दाम मिल सकेगा। इसके अलावा राज्य में 11 नए गोदामों का लोकार्पण किया जाएगा, जिससे कृषि उत्पादों के भंडारण की समस्या को दूर किया जा सकेगा। इस परियोजना के तहत राज्य के दो पैक्सों में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना के तहत गोदाम निर्माण का शिलान्यास भी किया जाएगा।
इस दौरे के दौरान नवनिबंधित दुग्ध सहकारी समितियों को निबंधन प्रमाण पत्र वितरित किए जाएंगे और एफपीओ (कृषक उत्पादक संगठन) को ऋण वितरण प्रमाण पत्र भी दिए जाएंगे। साथ ही, जन औषधि केंद्र का शुभारंभ और कॉमन सर्विस सेंटरों को क्रियाशील करने का प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जाएगा। प्रधानमंत्री कृषक समृद्धि केंद्र का भी शुभारंभ किया जाएगा, जिससे किसानों को एक ही छत के नीचे कृषि से जुड़ी तमाम सुविधाएं और जानकारियां मिलेंगी।
अमित शाह का यह दौरा बिहार के सहकारिता मॉडल को नई दिशा देने के साथ-साथ बीजेपी के लिए चुनावी जमीन मजबूत करने की कवायद का भी हिस्सा माना जा रहा है। बिहार में सहकारिता क्षेत्र में बीजेपी के बढ़ते दखल से साफ है कि पार्टी इसे अपने चुनावी एजेंडे में प्रमुख स्थान देने जा रही है। सहकारिता को आत्मनिर्भर भारत अभियान से जोड़कर बीजेपी ग्रामीण इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति बना रही है।
इस दौरे से यह भी साफ हो जाएगा कि बिहार में सहकारिता क्षेत्र को लेकर केंद्र सरकार की क्या दीर्घकालिक योजनाएं हैं और आने वाले समय में इसे किस तरह से और मजबूती दी जाएगी। अमित शाह का यह दौरा सिर्फ योजनाओं के उद्घाटन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह बिहार की सियासत में एक नया मोड़ ला सकता है। बीजेपी जहां सहकारिता क्षेत्र को अपनी ताकत बना रही है, वहीं विपक्ष इस पर अपनी नजरें गड़ाए हुए है। बिहार की राजनीति में सहकारिता का यह नया दांव कितना असरदार होगा, यह आने वाले चुनावों में साफ हो जाएगा।
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