निशांत है मुख्यमंत्री बन ने योग्य! तेजस्वी से जादा ज्ञानी?अश्विनी चौबे ने घेरा तेजस्वी को.....
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बिहार की राजनीति में एक बार फिर परिवारवाद को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। इस बार बहस के केंद्र में कोई और नहीं बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अश्विनी चौबे ने उनके राजनीति में आने का न सिर्फ समर्थन किया, बल्कि उन्हें मुख्यमंत्री पद के योग्य भी बताया। यह बयान तब आया जब बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो रही हैं और जेडीयू-बीजेपी गठबंधन को लेकर भी चर्चाएं गर्म हैं।
अश्विनी चौबे ने कहा कि निशांत कुमार ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और वे ऊर्जावान युवा हैं। उन्होंने कहा कि अगर निशांत राजनीति में आते हैं तो उनका स्वागत है। चौबे ने यह भी दावा किया कि निशांत कुमार में मुख्यमंत्री बनने की सभी योग्यताएं मौजूद हैं और वे अपने पिता नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी बन सकते हैं। उन्होंने इस बयान के साथ ही 2025 में एनडीए सरकार बनने का दावा किया और कहा कि गठबंधन को भारी बहुमत मिलेगा। उनका कहना था कि एनडीए के लिए 225 सीटों का लक्ष्य मुश्किल नहीं है।
इस बयान के साथ ही चौबे ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव के डीएनए में ही भ्रष्टाचार है और वे बिहार के मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं, लेकिन जनता उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि तेजस्वी यादव पढ़े-लिखे नहीं हैं और मुख्यमंत्री बनने के योग्य नहीं हैं, जबकि निशांत कुमार में यह क्षमता है।
इस पूरे बयानबाजी के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। जेडीयू और बीजेपी से पहले भी कई बार निशांत को राजनीति में लाने की बातें उठ चुकी हैं, लेकिन खुद निशांत कुमार और नीतीश कुमार इस मुद्दे पर हमेशा चुप्पी साध लेते हैं। निशांत कुमार से जब भी पूछा जाता है कि वे राजनीति में कब आएंगे, तो वे इस सवाल को टाल देते हैं। वहीं, नीतीश कुमार खुद परिवारवाद के विरोधी माने जाते हैं, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि उनके बेटे निशांत को लेकर बनी ये चर्चाएं क्या सच में कोई सियासी मोड़ लेंगी या फिर यह केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा बनकर रह जाएंगी।
तेजस्वी यादव ने भी निशांत कुमार के राजनीति में आने पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने निशांत का स्वागत करते हुए कहा कि अगर वे राजनीति में आ जाते हैं तो जेडीयू बच जाएगी। वहीं, जेडीयू के चर्चित विधायक गोपाल मंडल ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया था, जिससे यह साफ हो गया कि यह विषय सिर्फ बीजेपी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि जेडीयू के भीतर भी इस पर चर्चाएं हो रही हैं।
अब सवाल यह उठता है कि क्या निशांत कुमार राजनीति में कदम रखेंगे? क्या नीतीश कुमार अपने ही परिवारवाद विरोधी रुख से हटकर अपने बेटे को राजनीति में एंट्री दिलाएंगे? या फिर यह महज एक राजनीतिक बयानबाजी तक ही सीमित रहेगा? बिहार की राजनीति में इन सवालों का जवाब आने वाले समय में ही मिलेगा, लेकिन फिलहाल यह मुद्दा सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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