CM Nitsih ने जोड़े विपक्ष के सामने हाथ आखिर क्या थी बात? | Bihar Vidhansabha

CM Nitsih ने जोड़े विपक्ष के सामने हाथ आखिर क्या थी बात? | Bihar Vidhansabha


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बिहार विधानमंडल का बजट सत्र चल रहा है, लेकिन सदन में जारी हंगामे ने सरकार और विपक्ष के बीच टकराव को और तीखा कर दिया है। सत्र के छठे दिन भी विपक्षी दलों ने सदन में जमकर हंगामा किया, जिससे स्थिति इतनी बिगड़ गई कि खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हस्तक्षेप करना पड़ा। इस दौरान जो दृश्य दिखा, वह अपने आप में हैरान करने वाला था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी विधायकों के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए और उनसे शांति बनाए रखने की अपील करने लगे।  


विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान भाकपा माले के विधायक बिहार शरीफ में एक महिला की हत्या के मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए वेल में पहुंच गए। वे पोस्टर लेकर नारेबाजी कर रहे थे। महबूब आलम समेत कई विपक्षी सदस्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। यह देख विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि सदन नियम से चलेगा और हंगामे से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जब मौका मिलेगा, तभी विपक्ष को अपनी बात रखने दी जाएगी। लेकिन विपक्षी सदस्य शांत होने के बजाय और उग्र हो गए। वे पोस्टर लेकर नारेबाजी करते हुए आगे बढ़े तो स्पीकर ने मार्शल को आदेश दिया कि सभी पोस्टर जब्त कर लिए जाएं।  


महिला सुरक्षा और अत्याचार के मुद्दे को लेकर माले के विधायकों ने सदन के बाहर भी जमकर नारेबाजी की। उन्होंने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया और कार्रवाई की मांग की। विधानसभा के भीतर जब स्थिति बेकाबू होती दिखी, तो खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी सीट से उठकर खड़े हो गए। उन्होंने हाथ जोड़कर विपक्षी विधायकों से शांति बनाए रखने का अनुरोध किया और कहा कि सदन का समय बर्बाद करने से कोई फायदा नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार हर घटना पर सख्ती से कार्रवाई करती है और जहां कहीं भी गड़बड़ी होती है, वहां तुरंत अधिकारियों को निर्देश दिया जाता है।  


मुख्यमंत्री ने सदन में अपील करते हुए कहा कि राज्य में कोई भी घटना होती है, तो वह तुरंत संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगते हैं और जिलाधिकारियों को निर्देश देते हैं कि पूरी जांच कर उचित कार्रवाई की जाए। लेकिन विपक्ष जिस तरह से सदन में फालतू के मुद्दों पर हंगामा कर रहा है, वह लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ है। उन्होंने हाथ जोड़कर विनती करते हुए कहा कि सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलने दिया जाए और व्यवधान पैदा करने की राजनीति न की जाए।  


मुख्यमंत्री की इस अपील के बाद सदन में माहौल थोड़ा शांत हुआ, लेकिन विपक्ष ने अपने तेवर नरम नहीं किए। स्पीकर नंदकिशोर यादव ने भी विपक्ष से अपील करते हुए कहा कि सदन में नियमों का पालन होना चाहिए और अगर किसी को अपनी बात रखनी है, तो वह सही प्रक्रिया के तहत रखे। हंगामे और नारेबाजी से कोई समाधान नहीं निकलने वाला।  


हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब बिहार विधानसभा में इस तरह का हंगामा हुआ हो। इससे पहले भी कई मौकों पर विपक्ष सरकार को घेरने के लिए हंगामे का सहारा लेता रहा है। लेकिन इस बार का नजारा कुछ अलग था, जहां मुख्यमंत्री खुद हाथ जोड़कर विपक्ष को शांत करने के लिए खड़े हो गए। यह दृश्य बिहार की राजनीति में लंबे समय तक याद रखा जाएगा।  


इस पूरे घटनाक्रम ने यह भी साफ कर दिया कि बिहार की सियासत में टकराव बढ़ता जा रहा है। विपक्ष जहां सरकार पर सवाल उठाने के लिए आक्रामक रणनीति अपनाए हुए है, वहीं सरकार सदन की मर्यादा बनाए रखने की कोशिश कर रही है। आने वाले दिनों में इस बजट सत्र में और भी हंगामे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। बिहार की राजनीति में यह सत्र अब तक के सबसे उथल-पुथल भरे सत्रों में से एक साबित हो सकता है।

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