बिहार में कन्हैया कुमार के भाषण के बाद बवाल! गंगाजल से धुली मंच की ज़मीन,JNU विवाद ने फिर पकड़ी आग!

बिहार में कन्हैया कुमार के भाषण के बाद बवाल! गंगाजल से धुली मंच की ज़मीन,JNU विवाद ने फिर पकड़ी आग!


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**बिहार में कन्हैया कुमार के भाषण के बाद बवाल! गंगाजल से धुली मंच की ज़मीन, JNU विवाद ने फिर पकड़ी आग!**  


बिहार की राजनीति में चुनावी हलचल तेज़ है, लेकिन इस बार सुर्खियों में कोई बयानबाजी नहीं, बल्कि **कन्हैया कुमार के भाषण के बाद हुआ हाई-वोल्टेज ड्रामा** है। सहरसा जिले के बनगांव में कांग्रेस नेता **कन्हैया कुमार ने जब जनसभा को संबोधित किया, तो कुछ लोगों को यह इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने भाषण स्थल को गंगाजल से धोकर ‘शुद्ध’ कर दिया!** ये पूरा मामला अब बिहार की राजनीति में एक नए विवाद का रूप ले चुका है।  


### **JNU विवाद ने फिर पकड़ी आग!**  

कन्हैया कुमार, जो कभी **JNU विवाद के केंद्र में थे, आज भी उसी छवि से पीछा नहीं छुड़ा पा रहे हैं।** भाजपा और अन्य विरोधियों का मानना है कि **कन्हैया की विचारधारा देश-विरोधी रही है, और उनके भाषण से मंच की ‘पवित्रता’ भंग हो गई थी, इसलिए गंगाजल से शुद्धिकरण जरूरी था!** लेकिन कांग्रेस समर्थकों का कहना है कि **यह सिर्फ भाजपा और विरोधियों की साजिश है, जिससे जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाया जा सके।**  


### **मंदिर में पूजा, लेकिन फिर भी विरोध?**  

कन्हैया कुमार अपनी **‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा के तहत बिहार के महिषी पहुंचे, जहां उन्होंने प्रसिद्ध सिद्ध शक्तिपीठ उग्रतारा मंदिर में पूजा-अर्चना की।** उन्होंने प्रदेश में सुख-शांति की कामना भी की। **मंदिर न्यास सचिव ने कन्हैया को भगवती उग्रतारा की तस्वीर और चादर भेंट कर सम्मानित किया,** जिससे वे बेहद प्रसन्न दिखे। लेकिन पूजा के कुछ घंटे बाद ही उनका सामना एक नए विवाद से हो गया।  


### **भाषण के बाद ‘गंगाजल शुद्धिकरण’ की नौबत क्यों आई?**  

बनगांव में एक जनसभा के दौरान **कन्हैया कुमार ने बिहार में रोजगार, पलायन और मौजूदा सरकार की नीतियों पर तीखा हमला बोला।** लेकिन उनके जाते ही **स्थानीय युवाओं ने उनके भाषण स्थल को गंगाजल से धोकर ‘शुद्ध’ किया!** नगर पंचायत बनगांव के वार्ड पार्षद प्रतिनिधि **अमित चौधरी की अगुवाई में कई युवाओं ने इस प्रक्रिया को अंजाम दिया।**  


अमित चौधरी और उनके समर्थकों का कहना है कि,  

*"कन्हैया कुमार वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने JNU में देश-विरोधी नारेबाजी का समर्थन किया था। ऐसे व्यक्ति का भाषण सुनना और मंच पर उनका खड़ा होना हमारे लिए स्वीकार्य नहीं है। इसलिए हमने मंच को गंगाजल से धोकर उसकी पवित्रता बहाल की है।"*  


### **भाजपा ने कसा तंज, कांग्रेस ने साधी चुप्पी!**  

इस पूरे घटनाक्रम पर भाजपा ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि,  

*"कन्हैया कुमार की छवि देशविरोधी बयानों से जुड़ी हुई है। बिहार की जनता ऐसे नेता को स्वीकार नहीं करेगी। अगर वे खुद को बदनाम छवि से मुक्त समझते हैं, तो फिर हर बार उनका विरोध क्यों होता है?"*  


वहीं, कांग्रेस ने इस विवाद पर आधिकारिक बयान देने से परहेज किया है। लेकिन पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इसे भाजपा की साजिश बताया और कहा कि,  

*"यह सिर्फ चुनावी रणनीति है, ताकि असली मुद्दों से ध्यान हटाया जा सके। भाजपा जानबूझकर इस तरह के विवाद पैदा कर रही है।"*  


### **बिहार की जनता क्या सोच रही है?**  

अब सवाल ये उठता है कि **क्या बिहार की जनता कन्हैया कुमार को एक नए नेता के रूप में स्वीकार करेगी, या फिर JNU विवाद की छवि उनके राजनीतिक करियर पर हमेशा के लिए दाग बनकर रह जाएगी?**  


राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि **कन्हैया कुमार को अपनी छवि सुधारने के लिए अभी और मेहनत करनी होगी।** हालांकि, उनके समर्थकों का कहना है कि **यह सब सिर्फ एक राजनीतिक साजिश है, और जनता असली मुद्दों पर ध्यान देगी, न कि विरोधियों द्वारा फैलाए गए इस तरह के विवादों पर।**  


### **अगला कदम क्या होगा?**  

अब देखना दिलचस्प होगा कि **कन्हैया कुमार इस पूरे विवाद पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।** क्या वे इसे हल्के में लेंगे, या फिर इसका जवाब देकर अपनी छवि सुधारने की कोशिश करेंगे?  


फिलहाल, बिहार की राजनीति में **कन्हैया कुमार बनाम विरोधी खेमा** का यह विवाद और भी दिलचस्प होता जा रहा है। देखना होगा कि यह मामला आगे क्या मोड़ लेता है।

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