बिहार में कन्हैया कुमार की 'नौकरी दो पदयात्रा'ने पकड़ी रफ्तार, 11 अप्रैल को सीएम आवास का होगा घेराव

बिहार में कन्हैया कुमार की 'नौकरी दो पदयात्रा'ने पकड़ी रफ्तार, 11 अप्रैल को सीएम आवास का होगा घेराव


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**बिहार में कन्हैया कुमार की ‘नौकरी दो’ पदयात्रा ने पकड़ी रफ्तार, 11 अप्रैल को होगा मुख्यमंत्री आवास का घेराव**


बेरोजगारी और पलायन जैसे गंभीर मुद्दों को लेकर कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार की 'पलायन रोको, नौकरी दो' पदयात्रा अब राजधानी पटना में पूरे जोश के साथ पहुंच चुकी है। यात्रा अपने अंतिम चरण में है और 11 अप्रैल को मुख्यमंत्री आवास का घेराव कर विरोध जताया जाएगा। इस पदयात्रा को लेकर युवाओं और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है।


10 अप्रैल को पटना सिटी के ऐतिहासिक गुरुद्वारा से सुबह 8:30 बजे झंडोत्तोलन के साथ यात्रा की शुरुआत होगी। इसके बाद यात्रा झाऊगंज, हाजीगंज, मारूफगंज, मालसलामी और सिमली होते हुए पटना यूनिवर्सिटी के मुख्य द्वार तक पहुंचेगी। बीच-बीच में नुक्कड़ सभाएं, जनसंवाद और चाय पर चर्चा जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए आम जनता से सीधा संपर्क किया जाएगा। दोपहर को यात्रा गुरु का बाग स्थित कमेटी हॉल में विश्राम करेगी, और शाम को दरगाह रोड, मुसल्लहपुर हाट, भीखना पहाड़ी होते हुए यात्रा पुनः पटना यूनिवर्सिटी तक निकाली जाएगी।


इस पदयात्रा का सबसे अहम दिन 11 अप्रैल को होगा, जब हजारों कांग्रेस कार्यकर्ता मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस विरोध प्रदर्शन में करीब 5,000 कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित की गई है और संभावना जताई जा रही है कि यह राजधानी में हाल के वर्षों का सबसे बड़ा प्रदर्शन बन सकता है। इतना ही नहीं, खबर है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट भी इस घेराव में शामिल हो सकते हैं, जिससे इस आंदोलन को और राजनीतिक ताकत मिल सकती है।


सदाकत आश्रम को इस अभियान का बेस कैंप बनाया गया है, जहां रणनीतिक बैठकें लगातार चल रही हैं। कन्हैया कुमार की यह यात्रा युवाओं के भविष्य की चिंता को लेकर निकाली गई है और इसका मकसद बेरोजगारी के खिलाफ राज्य सरकार पर दबाव बनाना है। कांग्रेस इस अभियान को युवा शक्ति की आवाज़ बता रही है और इसे एक बड़ा सामाजिक-राजनीतिक आंदोलन बनाने की तैयारी में है।


कन्हैया कुमार की यह पदयात्रा ऐसे समय में हो रही है जब बिहार में युवाओं को रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं मिल पा रहे हैं। सरकारी भर्तियों में देरी, प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली और सरकारी नौकरियों की सीमित संख्या ने युवाओं के सपनों पर पानी फेर दिया है। ऐसे में यह यात्रा उनके लिए एक उम्मीद बनकर सामने आई है।


हालांकि विपक्षी दल इस यात्रा को सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट कह रहे हैं, लेकिन यात्रा में युवाओं की भागीदारी और उनके उत्साह को देखते हुए यह साफ है कि यह मुद्दा अब सड़कों पर उतर चुका है। आने वाले दिनों में यह देखा जाएगा कि यह पदयात्रा केवल विरोध तक सीमित रहती है या वाकई कोई ठोस बदलाव की राह खोलती है। लेकिन फिलहाल इतना तय है कि बिहार की सड़कों पर युवा अपनी आवाज़ बुलंद कर चुके हैं।

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