आंबेडकर जयंती से दलित वोट बैंक साधने की तैयारी में जेडीयू ?....
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बिहार की राजनीति में दलित वोट बैंक की अहमियत को देखते हुए जदयू इस बार डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती को यादगार बनाने की तैयारी में जुट गई है। विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक संदेश देने के लिहाज से पार्टी इस आयोजन को बड़े पैमाने पर करने जा रही है। 13 अप्रैल को पटना के बापू सभागार में एक भव्य समारोह का आयोजन होगा, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद शिरकत करेंगे और समारोह का उद्घाटन करेंगे।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने बताया कि इस कार्यक्रम में राज्यभर से जदयू के नेता, विधायक, पदाधिकारी और कार्यकर्ता जुटेंगे। बापू सभागार का माहौल पूरी तरह बाबा साहेब की विचारधारा से सराबोर रहेगा। उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर किसी एक जाति या समुदाय के नहीं, बल्कि पूरे समाज के प्रेरणास्त्रोत हैं। उनका जीवन संघर्ष और संविधान निर्माण में उनका योगदान भारतीय लोकतंत्र की बुनियाद है।
जदयू इस आयोजन को सिर्फ एक सांस्कृतिक समारोह नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के अपने एजेंडे की सार्वजनिक प्रस्तुति के रूप में देख रही है। समारोह में नीतीश सरकार के उन फैसलों को भी रेखांकित किया जाएगा जो कमजोर वर्गों, दलितों और पिछड़ों के उत्थान के लिए बीते दो दशकों में लिए गए। चाहे वह शिक्षा में आरक्षण की व्यवस्था हो, दलित छात्रों के लिए छात्रावास हों या फिर रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देने की योजनाएं—इन सभी को जदयू आंबेडकर की प्रेरणा से जोड़कर प्रस्तुत करने जा रही है।
जयंती के दिन 14 अप्रैल को पार्टी ने अनोखी पहल का ऐलान किया है। प्रदेश भर के जदयू कार्यकर्ता अपने-अपने घरों में दीया जलाकर आंबेडकर जयंती को दिवाली की तरह मनाएंगे। इस सांकेतिक उत्सव के जरिए पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि बाबा साहेब का महत्व पार्टी के लिए सिर्फ एक प्रतीकात्मक सम्मान नहीं, बल्कि उनकी विचारधारा जदयू के राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण की रीढ़ है।
इस बार के आयोजन को खास बनाने के पीछे एक बड़ा राजनीतिक संदेश छिपा है। एनडीए पहले ही 2025 में 225 सीटें जीतने का लक्ष्य तय कर चुकी है और जदयू जानती है कि इस लक्ष्य को पाने के लिए दलित और पिछड़े वर्ग का समर्थन निर्णायक साबित होगा। ऐसे में बाबा साहेब के नाम पर सामाजिक समरसता और राजनीतिक प्रतिबद्धता का यह प्रदर्शन दलित वर्ग में पार्टी की पकड़ मजबूत करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
जदयू का यह आयोजन न केवल बाबा साहेब को श्रद्धांजलि होगा, बल्कि विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की रणनीति और प्राथमिकताओं का प्रतीक भी बनेगा। अब देखना यह होगा कि दलित वोटरों के दिल तक यह दीप जलाने की कवायद कितनी असरदार साबित होती है।
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