खेलो इंडिया 2025 की ऐतिहासिक मेजबानी से चमका बिहार, 36 पदकों के साथ रचा इतिहास

खेलो इंडिया 2025 की ऐतिहासिक मेजबानी से चमका बिहार, 36 पदकों के साथ रचा इतिहास


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### **खेलों के नक्शे पर चमका बिहार: खेलो इंडिया 2025 की मेजबानी से बदली तस्वीर, 36 पदकों के साथ ऐतिहासिक प्रदर्शन**

**पटना**: बिहार ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 की मेजबानी करके ना सिर्फ़ अपनी प्रशासनिक क्षमता का लोहा मनवाया, बल्कि खेल के क्षेत्र में भी एक नई पहचान बना ली। 4 से 15 मई तक बिहार के पांच शहरों — पटना, राजगीर (नालंदा), गया, भागलपुर और बेगूसराय — में आयोजित इस भव्य आयोजन में देश भर के 10 हज़ार से अधिक खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। इसमें बिहार ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल 36 पदक अपने नाम किए, जिनमें 7 स्वर्ण पदक शामिल हैं।

यह आयोजन सिर्फ़ एक खेल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि राज्य की बदलती सोच और नवाचार का प्रतीक बन गया। बिहार सरकार ने मेहमान खिलाड़ियों के आवास, भोजन और सुरक्षा से लेकर तकनीकी प्रबंधन तक, हर पहलू पर विशेष ध्यान दिया। राजकीय अतिथिशालाओं, होटलों और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को खिलाड़ियों की सुविधा के अनुसार उन्नत किया गया। गर्मी को ध्यान में रखते हुए इंडोर स्टेडियम्स में एसी, एयरकूलिंग और हवादार व्यवस्था सुनिश्चित की गई। बोधगया के बिपार्ड में अंतरराष्ट्रीय मानकों वाला स्विमिंग पूल और जर्मन हैंगर से युक्त स्टेडियम्स ने खिलाड़ियों को गर्मी से राहत दी।


राज्य सरकार की "मेडल लाओ, नौकरी पाओ" योजना और खेल आधारभूत ढांचे में निवेश के सकारात्मक परिणाम इस आयोजन में स्पष्ट दिखाई दिए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने पिछले कुछ वर्षों में खेल को करियर विकल्प के रूप में प्रोत्साहित करने की दिशा में कई ठोस कदम उठाए हैं। पंचायत स्तर तक खेल मैदान विकसित किए जा रहे हैं, स्टेडियमों का नवीनीकरण किया गया है, और खिलाड़ियों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जा रहा है।


इस बार की खास बात यह भी रही कि किसी बाहरी एजेंसी या कैटरर पर निर्भर हुए बिना बिहार ने आयोजन की पूरी ज़िम्मेदारी खुद संभाली। आयोजन से पहले अधिकारियों की टीम ने तमिलनाडु और उत्तराखंड का अध्ययन दौरा कर योजनाएं तैयार कीं। खिलाड़ियों के लिए तैयार की गई संतुलित डाइट योजना, जिसमें प्रति 100 खिलाड़ियों के लिए 29 किलो चिकन, 16 किलो पनीर, 14 किलो चावल और अन्य पोषक आहार शामिल थे, बिहार की तैयारियों का प्रमाण है।


खेलों की सुरक्षा के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति, 170 सदस्यीय कोर टीम, 24 घंटे पुलिस बल की तैनाती और सूचना आदान-प्रदान के लिए डिजिटल माध्यमों का उपयोग — यह सब एक अत्याधुनिक आयोजन का हिस्सा रहा।


इस आयोजन से एक बात स्पष्ट हो गई — बिहार अब सिर्फ पिछड़ेपन के लिए नहीं, बल्कि प्रगति, प्रतिभा और प्रशासनिक दक्षता के लिए भी जाना जाएगा। राज्य की राष्ट्रीय खेल रैंकिंग में सुधार हुआ है और अब बिहार 14वें पायदान पर पहुँच गया है, जो बीते वर्ष की तुलना में एक बड़ी छलांग है।


**निष्कर्षतः**, खेलो इंडिया 2025 की मेजबानी बिहार के लिए सिर्फ़ एक आयोजन नहीं थी, बल्कि ये भविष्य की नींव रखने वाला अवसर था। इससे युवा खिलाड़ियों को न केवल मंच मिला, बल्कि राज्य को एक नई पहचान भी। अब ये कहना गलत नहीं होगा कि बिहार खेलों की नई राजधानी बनने की दिशा में अग्रसर है।


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