America को बाप बनने नहीं दिया जाए!" Pappu Yadav का Pm Modi से दो-टूक आग्रह!
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पप्पू यादव का बड़ा बयान – "अमेरिका को बाप बनने नहीं दिया जाए", भारत की संप्रभुता पर उठे सवाल**
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में घोषित युद्धविराम को लेकर देश की सियासत में हलचल तेज हो गई है। इस बीच पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव का बयान चर्चा में है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा है कि **"अमेरिका को बाप बनने नहीं दिया जाए।"** उनका यह तीखा बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे के बाद आया है, जिसमें ट्रंप ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम उनकी मध्यस्थता से संभव हो पाया है।
पप्पू यादव ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट से पोस्ट करते हुए सवाल उठाया, "भारत जैसे महान देश के संबंध में घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति किस हैसियत से कर रहा है? यह भारत की संप्रभुता पर सीधा हमला है।" उन्होंने कहा कि युद्धविराम हो, लेकिन भारत की शर्तों पर हो, न कि किसी विदेशी दबाव या घोषणा के आधार पर।
इस पूरे मामले में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने स्वयं भारतीय डीजीएमओ को कॉल किया था, जिसके बाद दोनों पक्षों में शाम 5 बजे से जमीन, हवा और समुद्र में सभी तरह की सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी। यानी भारत सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे को सिरे से नकार दिया है।
डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा इस युद्धविराम को अमेरिका की कूटनीतिक जीत के रूप में पेश किया जाना अब सवालों के घेरे में है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका की यह आदत रही है कि वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय समझौते या शांति वार्ता में खुद को बीच में लाकर वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश करता है। लेकिन भारत जैसे संप्रभु राष्ट्र के मामले में यह प्रयास न केवल अनुचित है, बल्कि अपमानजनक भी।
पप्पू यादव का यह बयान ना सिर्फ राजनीतिक है, बल्कि एक राष्ट्रीय चेतावनी भी है कि भारत को किसी भी सूरत में अपनी विदेश नीति और संप्रभुता से समझौता नहीं करना चाहिए। भारत की जनता और जनप्रतिनिधियों की यह अपेक्षा स्वाभाविक है कि देश के अहम फैसले किसी बाहरी दबाव में नहीं बल्कि पूरी तरह देश के हितों को ध्यान में रखते हुए लिए जाएं।
यह बयान आने वाले समय में भारत-अमेरिका रिश्तों की दिशा तय करने में भी अहम भूमिका निभा सकता है। ऐसे में अब नजर इस बात पर है कि केंद्र सरकार अमेरिकी दावे को कितनी गंभीरता से लेती है और क्या इस पर कोई आधिकारिक आपत्ति दर्ज कराई जाएगी या नहीं।
**निष्कर्ष:**
भारत और पाकिस्तान के बीच शांति प्रयासों का स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन साथ ही देश की गरिमा और संप्रभुता सबसे ऊपर है। पप्पू यादव का यह बयान इसी भावना का प्रतीक है और यह सुनिश्चित करता है कि भारत अपने फैसलों में आत्मनिर्भर रहे।
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