पटना में पहली बार 12 दिवसीय गंगा महोत्सव, विदेश से आएंगे कलाकार
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आज हम बात करेंगे एक ऐसे आयोजन की जो ना केवल पटना शहर के लिए गर्व की बात है, बल्कि भारत की सनातन संस्कृति, कला, और जल संरक्षण की भावना को भी समर्पित है। जी हां, राजधानी पटना के कंगन घाट पर पहली बार 12 दिवसीय **गंगा महोत्सव** का आयोजन होने जा रहा है। 5 जून से शुरू होकर यह आयोजन 16 जून तक चलेगा, और खास बात यह है कि इसमें सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी कलाकार शामिल होने जा रहे हैं। यह आयोजन सनातनी गंगा फाउंडेशन और IDPTS के संयुक्त तत्वाधान में किया जा रहा है, और तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही हैं।
गंगा, जो भारत की आत्मा मानी जाती हैं, जिनकी पवित्र धारा न केवल हमारी सभ्यता की साक्षी रही है, बल्कि आज भी करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र हैं, उनके सम्मान में यह भव्य आयोजन किया जा रहा है। इस गंगा महोत्सव का सबसे प्रमुख उद्देश्य है – गंगा की सफाई को लेकर आम लोगों को जागरूक करना। इस दिशा में, गंगोत्री से एक विशेष ‘गंगाजल रथ’ पटना लाया गया है, ताकि लोग गंगोत्री से निकले शुद्ध जल और पटना में मौजूद गंगाजल की गुणवत्ता का अंतर समझ सकें। यह न केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है, बल्कि जल संरक्षण और पर्यावरण जागरूकता की एक महत्वपूर्ण पहल भी है।
कार्यक्रम स्थल कंगन घाट पर मां गंगा की 41 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण कराया जा रहा है, जो लोगों की आस्था का प्रतीक बनेगी। यह प्रतिमा केवल एक मूर्ति नहीं होगी, बल्कि यह लोगों को यह याद दिलाएगी कि गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति की मां हैं – जिन्हें बचाना, संरक्षित करना और स्वच्छ बनाए रखना हर नागरिक का कर्तव्य है। इस आयोजन में सबसे विशेष बात यह है कि कंबोडिया और श्रीलंका जैसे देशों से कलाकार भी आ रहे हैं, जो भारत की आध्यात्मिक शक्ति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर दर्शाएंगे।
कंबोडिया से 8 युवक-युवतियों का एक विशेष ग्रुप आएगा, जो गंगा की आरती को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत करेगा। इसके अलावा, भारत के विभिन्न राज्यों से आईं 100 से अधिक नृत्यांगनाएं एक साथ मां गंगा की आरती उतारेंगी। ये नृत्यांगनाएं भारत की प्राचीन शास्त्रीय नृत्य शैलियों – कथक, ओडिशी, भरतनाट्यम, मोहिनीअट्टम, कथकली, मणिपुरी, कुचिपुड़ी और सत्रीय में प्रस्तुति देंगी। 11 ऋषि कुमारियां और 1000 महिलाएं भी एक साथ गंगा आरती में भाग लेंगी। यह दृश्य सिर्फ भव्य नहीं होगा, बल्कि भारत की सांस्कृतिक शक्ति और आध्यात्मिक चेतना का जीवंत प्रमाण बनेगा।
गंगा महोत्सव में एक और खास नाम शामिल होने जा रहा है – मशहूर अभिनेता मुकेश खन्ना। जो महाभारत में भीष्म पितामह और शक्तिमान जैसे पौराणिक किरदारों के लिए जाने जाते हैं। उनका इस कार्यक्रम में आना इस आयोजन की गरिमा को और भी ऊंचा कर देगा। वे सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और मूल्यों के सशक्त प्रतिनिधि हैं। उनके आने से निश्चित ही युवाओं में गंगा संरक्षण के प्रति एक नई चेतना का संचार होगा।
गौर करने वाली बात यह भी है कि इस आयोजन का उद्देश्य सिर्फ सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दिखाना नहीं है, बल्कि यह एक जन आंदोलन की तरह है, जो लोगों को गंगा की वास्तविक स्थिति से रूबरू कराना चाहता है। गंगोत्री से लाया गया गंगाजल इस बात की प्रतीकात्मक प्रस्तुति है कि कैसे हमने समय के साथ गंगा की पवित्रता को नुकसान पहुंचाया है और अब वक्त आ गया है कि हम इसे समझें और एकजुट होकर गंगा को पुनर्जीवित करें।
इस पूरे कार्यक्रम में ना केवल नृत्य और आरती होंगे, बल्कि गंगा से जुड़ी पौराणिक कथाओं, सामाजिक जिम्मेदारियों और वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित कई सत्र भी आयोजित किए जाएंगे। बच्चों के लिए प्रतियोगिताएं होंगी, युवाओं के लिए वर्कशॉप्स और आम जन के लिए जागरूकता कार्यक्रम रखे जाएंगे। यह आयोजन सिर्फ देखने या सुनने का विषय नहीं, बल्कि समझने और अपनाने का विषय है।
हमारे देश में गंगा को मां का दर्जा प्राप्त है, लेकिन क्या हम सच में उन्हें मां की तरह सम्मान देते हैं? क्या हमने कभी सोचा है कि जिस नदी से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है, उसे हम अपने लालच और लापरवाही से कितना नुकसान पहुंचा चुके हैं? यही सवाल इस गंगा महोत्सव में उठेंगे और शायद इन्हीं सवालों से हमें जवाब भी मिलेंगे।
आशा है कि पटना वासी इस आयोजन में बढ़-चढ़कर भाग लेंगे और देश को यह संदेश देंगे कि अगर शुरुआत कहीं से हो सकती है, तो वह हमारे शहर से ही क्यों नहीं? गंगा सिर्फ बिहार की नहीं, बल्कि पूरे भारत की धरोहर हैं, और हमें मिलकर इसे संरक्षित करना है।
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