"दिल्ली चुनाव: दलित वोटों के लिए सियासी जंग, कौन होगा जीत का दावेदार?"
YouTube video link....https://youtu.be/u5jUpzVK468
"दिल्ली चुनाव: दलित वोटों के लिए सियासी जंग, कौन होगा जीत का दावेदार?"
दिल्ली विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां अब अपने चरम पर हैं। दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP), और कांग्रेस ने चुनावी गणित में एक नया ट्विस्ट डालते हुए दलितों के मुद्दे को उछाल दिया है। गृहमंत्री अमित शाह का एक बयान जो संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान आया, अब दिल्ली की राजनीति का बड़ा मुद्दा बन चुका है। इस मुद्दे को लेकर तीनों प्रमुख दल अपनी रणनीतियां बना रहे हैं, ताकि वे दलित वोट बैंक को अपनी ओर खींच सकें।
"आम आदमी पार्टी: दलित वोटों पर बने रहने की रणनीति"
आम आदमी पार्टी के लिए यह अवसर अपनी स्थिति और मजबूत करने का है। 2013 के चुनाव में जब आप ने 12 में से 9 सीटें जीतकर दलितों के बीच अपनी पकड़ बनाई, तो उसके बाद से पार्टी ने लगातार दलितों की आकांक्षाओं और मुद्दों को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल किया। अब, शाह के बयान को हवा देकर पार्टी अपनी राजनीति को और पुख्ता करने में जुटी है। उसे उम्मीद है कि इस मुद्दे के जरिए वह फिर से दलित वोटों में अपनी पकड़ मजबूत कर सकेगी, खासकर उन सीटों पर जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।
"कांग्रेस: दलित वोटों के जरिए वापसी की कोशिश"
कांग्रेस के लिए अमित शाह का बयान एक सुनहरा अवसर साबित हो सकता है। 2008 तक दिल्ली में दलित राजनीति की चैंपियन रही कांग्रेस अब इस मुद्दे को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर रही है। पार्टी को उम्मीद है कि दलितों के अधिकारों की बात कर वह दिल्ली की राजनीति में वापसी कर सकती है। कांग्रेस इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने का मन बना चुकी है, ताकि वह दलितों और अल्पसंख्यकों का समर्थन हासिल कर सके, जैसा कि लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था।
"बीजेपी: दलितों का सबसे बड़ा हितैषी बनने की कोशिश"
बीजेपी ने कांग्रेस को आंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाते हुए अपने को दलितों का सबसे बड़ा हितैषी साबित करने की कोशिश की है। पार्टी के लिए यह चुनावी मुद्दे को दलितों की भावनाओं से जोड़ने का मौका है। वह इस बयान को हवा देकर कांग्रेस को घेरने की रणनीति पर काम कर रही है और दिल्ली में अपनी पकड़ को मजबूत करना चाहती है, खासकर उन सीटों पर जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।
"दिल्ली के चुनावी समीकरण: कौन करेगा दलितों के मुद्दे पर कब्जा?"
दिल्ली में कुल 12 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं, और इन सीटों पर सियासत तेज हो गई है। पिछले चुनावों में आम आदमी पार्टी ने इन सीटों पर अपना कब्जा जमा लिया था। अब सवाल यह है कि इस बार कौन सी पार्टी इन सीटों पर अपना प्रभुत्व बनाए रखेगी? बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीनों दल अपने-अपने दावे पेश कर रहे हैं और देखना यह होगा कि दलित वोट बैंक का झुकाव किस पार्टी की ओर होगा।
" दलित वोटों पर कौन करेगा कब्जा?"
दिल्ली विधानसभा चुनाव में दलित वोट बैंक अब सियासत का बड़ा मुद्दा बन चुका है। तीनों प्रमुख दल – बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी – इस मुद्दे पर अपनी-अपनी रणनीतियां बना रहे हैं। दिल्ली में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर होने वाली लड़ाई अब और भी दिलचस्प हो गई है। इन दलों के बीच मुकाबला अब केवल सीटों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह दलित वोटों को अपनी ओर खींचने की सियासी जंग बन गई है।
0 Response to ""दिल्ली चुनाव: दलित वोटों के लिए सियासी जंग, कौन होगा जीत का दावेदार?""
एक टिप्पणी भेजें