महाकुंभ में मुलायम सिंह यादव की मूर्ति को लेकर विवाद, संतों ने जताई कड़ी आपत्ति!

महाकुंभ में मुलायम सिंह यादव की मूर्ति को लेकर विवाद, संतों ने जताई कड़ी आपत्ति!


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**महाकुंभ में मुलायम सिंह यादव की मूर्ति को लेकर विवाद, संतों ने जताई कड़ी आपत्ति**  


प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ हो चुका है, लेकिन इसके साथ ही एक नया विवाद सामने आ गया है। महाकुंभ परिसर में समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा स्थापित किए जाने को लेकर हिंदू संतों और अखाड़ों ने कड़ी आपत्ति जताई है।  


### **संतों की नाराजगी**  

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने इस मूर्ति स्थापना की निंदा करते हुए इसे हिंदुओं की भावनाओं का अपमान बताया है। उन्होंने कहा, "मुलायम सिंह यादव हिंदू विरोधी और सनातन विरोधी विचारों के प्रतीक रहे हैं। राम मंदिर आंदोलन के दौरान उन्होंने जो भूमिका निभाई थी, उसे कोई नहीं भूल सकता।" जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद ने भी महंत रवींद्र पुरी के बयान का समर्थन किया।  


### **विवाद की शुरुआत कैसे हुई?**  

शनिवार को कुंभ परिसर में मुलायम सिंह यादव स्मृति सेवा संस्थान द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री की एक छोटी प्रतिमा का अनावरण किया गया। संस्थान ने इसे प्रतीकात्मक बताते हुए कहा कि मूर्ति का उद्देश्य मुलायम सिंह यादव के विचारों को श्रद्धांजलि देना है। साथ ही शिविर में तीर्थयात्रियों को भोजन और रहने की सुविधा देने की बात भी कही गई।  


### **राजनीतिक बयानबाजी**  

संतों के विरोध के बाद यह मुद्दा राजनीतिक रंग भी लेने लगा है। महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजन में एक राजनीतिक नेता की मूर्ति लगाए जाने पर विपक्ष और संत समाज ने कड़ा विरोध जताया है। संतों का कहना है कि कुंभ जैसे धार्मिक आयोजन में ऐसे कार्य धर्म की पवित्रता को ठेस पहुंचाते हैं।  


### **मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत**  

मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे और उनकी पहचान एक मजबूत नेता के रूप में होती है। उन्होंने अपने जीवनकाल में 10 बार विधायक और 7 बार सांसद के रूप में जनता का प्रतिनिधित्व किया। 2022 में उनका निधन हुआ। समाजवादी पार्टी ने उनके विचारों और योगदान को जीवित रखने के लिए इस प्रतिमा को प्रतीकात्मक रूप से स्थापित किया है।  


### **महाकुंभ और इसकी पवित्रता**  

महाकुंभ हिंदू धर्म का सबसे बड़ा आस्था का केंद्र है, जहां लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान करने और धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने आते हैं। संतों का मानना है कि महाकुंभ की पवित्रता को बनाए रखना हर किसी का कर्तव्य है और ऐसे किसी भी कार्य से बचना चाहिए जो धार्मिक भावनाओं को आहत करे।  


### **आगे की स्थिति**  

विवाद बढ़ने के बाद अब यह देखना होगा कि क्या महाकुंभ में स्थापित इस प्रतिमा को हटाया जाएगा या नहीं। वहीं, समाजवादी पार्टी का कहना है कि महाकुंभ के बाद इस प्रतिमा को पार्टी कार्यालय में ले जाया जाएगा।  


यह मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे धार्मिक और राजनीतिक मुद्दे आपस में टकरा सकते हैं और इनका समाधान केवल संवाद और आपसी समझ से ही संभव है।

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