Prashant Kishor का आमरण अनशन: बीपीएससी परीक्षा रद्द करने और शिक्षा व्यवस्था सुधार की मांग!
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**प्रशांत किशोर का आमरण अनशन: शिक्षा व्यवस्था सुधार और बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग**
**पटना: आंदोलन की नई लहर**
बिहार की राजनीति और शिक्षा व्यवस्था में भूचाल तब आया जब जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बीपीएससी परीक्षा रद्द करने और राज्य की शिक्षा व्यवस्था सुधारने की मांग को लेकर आमरण अनशन शुरू कर दिया। छात्रों का समर्थन प्राप्त करते हुए प्रशांत किशोर ने यह कदम उठाया, जिससे न केवल छात्रों के बीच बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई।
### **क्या है पूरा मामला?**
बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षाओं को लेकर लंबे समय से भ्रष्टाचार और पेपर लीक के आरोप लगते रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि अधिकारियों की मिलीभगत से परीक्षाओं को प्रभावित किया जा रहा है। प्रशांत किशोर ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हुए छात्रों का साथ दिया।
### **लाठीचार्ज के बाद अनशन की घोषणा**
पटना में हुए एक प्रदर्शन के दौरान छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इस घटना की आलोचना करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, "सरकार छात्रों की आवाज दबाना चाहती है। लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे।" उन्होंने सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया था कि अगर बीपीएससी परीक्षा रद्द नहीं हुई, तो वह आमरण अनशन शुरू करेंगे।
### **प्रशांत किशोर की मांगें**
प्रशांत किशोर का अनशन सिर्फ बीपीएससी परीक्षा रद्द करने तक सीमित नहीं है। उन्होंने कई सुधारात्मक कदम उठाने की मांग की है:
1. बीपीएससी परीक्षा रद्द कर नए सिरे से परीक्षा आयोजित करना।
2. भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई।
3. बिहार में डोमिसाइल नीति लागू करना।
4. राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाना।
### **छात्रों का समर्थन और सरकार की चुप्पी**
प्रशांत किशोर के इस कदम को छात्रों का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। कई छात्र संगठन उनके समर्थन में खड़े हो गए हैं। छात्रों का कहना है कि यह सिर्फ एक परीक्षा का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह उनके भविष्य की लड़ाई है। वहीं, नीतीश सरकार ने अब तक इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।
### **बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर उठते सवाल**
बिहार की शिक्षा व्यवस्था लगातार सवालों के घेरे में है। हर साल होने वाली परीक्षाओं में पेपर लीक की घटनाएं आम हो चुकी हैं। छात्रों का भविष्य दांव पर है, और सरकार इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। प्रशांत किशोर ने कहा, "यह सिर्फ एक परीक्षा का मामला नहीं है। यह पूरे शिक्षा तंत्र को सुधारने का समय है।"
### **राजनीतिक गलियारों में हलचल**
प्रशांत किशोर के अनशन ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बनाते हुए सरकार पर निशाना साधा है। वहीं, सत्ताधारी दल ने इसे एक "राजनीतिक स्टंट" करार दिया है।
### **क्या सरकार झुकेगी?**
प्रशांत किशोर के इस अनशन ने सरकार को दबाव में ला दिया है। सवाल यह है कि क्या सरकार उनकी मांगों को मानेगी, या यह आंदोलन एक बड़ा राजनीतिक मोड़ लेगा?
**निष्कर्ष:**
प्रशांत किशोर का यह कदम बिहार की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका यह अनशन क्या बदलाव लाता है। आपकी क्या राय है? क्या सरकार को प्रशांत किशोर की मांग माननी चाहिए? हमें अपनी राय जरूर बताएं।
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