बिहार की सियासत में नया मोड़: Upendra Kushwaha का बयान, Nitish Kumar के NDA में बने रहने का दावा!

बिहार की सियासत में नया मोड़: Upendra Kushwaha का बयान, Nitish Kumar के NDA में बने रहने का दावा!


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**बिहार की सियासत में हलचल: उपेन्द्र कुशवाहा का बयान और नीतीश कुमार का एनडीए में रहना**


बिहार की राजनीति में इन दिनों एक बार फिर से जोरदार हलचल देखने को मिल रही है। यह हलचल उस वक्त और तेज हो गई जब राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने दावा किया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए के साथ बने रहेंगे। उनके इस बयान ने बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। उपेन्द्र कुशवाहा ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार ने खुद कई बार यह स्पष्ट किया है कि वह एनडीए का हिस्सा हैं और इसका हिस्सा बने रहेंगे। 


**एनडीए से अलग नहीं होंगे नीतीश कुमार**


उपेन्द्र कुशवाहा का यह बयान बिहार की सियासत में एक महत्वपूर्ण बयान माना जा रहा है, खासकर तब जब बिहार के राजनीतिक हलकों में यह चर्चा थी कि नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन "INDIA" के साथ जा सकते हैं। हालांकि, कुशवाहा ने इस बात का पूरी तरह से खंडन किया और कहा कि नीतीश कुमार ने हमेशा एनडीए में रहने की बात कही है और वह इस गठबंधन में बने रहेंगे। कुशवाहा ने इस बयान को और भी स्पष्ट करते हुए कहा कि विपक्षी दलों द्वारा फैलाए जा रहे इस तरह के अफवाहों में कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने कहा कि एनडीए के साथ नीतीश कुमार का रिश्ता मजबूत है और वह इसे छोड़ने का कोई इरादा नहीं रखते हैं। 


इसके अलावा, कुशवाहा ने महागठबंधन को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि महागठबंधन में शामिल दलों के बीच स्वार्थ की राजनीति चल रही है। उनका यह बयान बिहार की सियासत में नए विवादों को जन्म दे सकता है क्योंकि कुशवाहा ने कहा कि महागठबंधन में शामिल पार्टियों के नेता एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं, जिससे गठबंधन के भीतर मतभेद साफ दिख रहे हैं। कुशवाहा ने खासकर राजद के नेताओं की बयानबाजी का उल्लेख किया, जिसमें तेजस्वी यादव और लालू यादव के बयान एक-दूसरे से मेल नहीं खाते थे। 


**INDIA गठबंधन पर सवाल उठाते हुए कुशवाहा ने कहा**


उपेन्द्र कुशवाहा ने यह भी कहा कि INDIA गठबंधन सिर्फ स्वार्थी राजनीति का परिणाम है और इसमें कोई स्थिरता नहीं है। उनका कहना था कि गठबंधन की पार्टियां केवल सत्ता के लिए एकजुट हुई हैं और इनका कोई स्पष्ट उद्देश्य नहीं है। कुशवाहा ने यह भी कहा कि जैसे-जैसे चुनाव करीब आएंगे, वैसे-वैसे महागठबंधन में और अधिक दरारें दिखेंगी और इसका टूटना तय है। उनका यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया, क्योंकि बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की स्थिति अभी से ही काफ़ी तनावपूर्ण दिख रही है। 


**केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी का बयान**


इस बीच, केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता जीतन राम मांझी ने भी INDIA गठबंधन और बिहार की राजनीति को लेकर अपने विचार साझा किए। मांझी ने कहा कि INDIA गठबंधन का कोई स्पष्ट उद्देश्य नहीं है और यह केवल एक अस्थिर गठबंधन है, जो किसी ठोस राजनीतिक विचारधारा से नहीं जुड़ा है। उनका कहना था कि गठबंधन के नेताओं का एकमात्र उद्देश्य यह था कि कौन प्रधानमंत्री बनेगा और कौन नेता बनेगा, जबकि देश और राज्य की प्रगति के लिए इन दलों का कोई ठोस रोडमैप नहीं है। 


मांझी ने बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के स्थिर रुख की सराहना की और कहा कि नीतीश कुमार एनडीए के साथ मजबूती से खड़े हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को भारी जीत मिलेगी और नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता में लौटेंगे। उनका कहना था कि एनडीए को दो तिहाई बहुमत मिलेगा, जिससे बिहार में एक बार फिर से नीतीश कुमार की सरकार बनेगी। 


**बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव की सियासी जंग**


बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। इस चुनाव में कई बड़े राजनीतिक दलों के बीच सीधी टक्कर होने की संभावना है। नीतीश कुमार की जेडीयू और तेजस्वी यादव की आरजेडी महागठबंधन में हैं, जबकि बीजेपी और अन्य सहयोगी दल एनडीए में हैं। इस चुनाव को लेकर राजनीतिक दल पूरी ताकत से मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। 

महागठबंधन में हर दिन नए विवाद सामने आ रहे हैं, जबकि एनडीए अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। इस बीच, जनता भी इन घटनाओं पर नजर बनाए हुए है और चुनाव परिणामों के आधार पर राज्य की राजनीति में बदलाव की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। 

**निष्कर्ष**

बिहार की राजनीति में इन दिनों काफी उथल-पुथ मची हुई है और उपेन्द्र कुशवाहा का बयान इसके और भी गहरे संकेत दे रहा हैं। नीतीश कुमार के एनडीए में बने रहने के बाद बिहार की राजनीति में अभी और कई मोड़ आ सकते हैं। महागठबंधन और INDIA गठबंधन के नेता अपनी-अपनी राजनीतिक चालें चल रहे हैं, जिससे बिहार की सियासत में और भी दिलचस्प मोड़ आ सकते हैं। चुनावी मौसम में सियासी समीकरण बदलने की संभावनाएं हमेशा बनी रहती हैं और इस बार भी इसका असर स्पष्ट रूप से दिख रहा है। 


साथ ही, बिहार के लोग भी राजनीतिक दलों से यह उम्मीद कर रहे हैं कि इस चुनाव में जो भी सरकार बने, वह राज्य के विकास और जनता की भलाई के लिए काम करे।

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