दुखों को पीछे छोड़ते हुए महाकुंभ में पहुंचे 'ऑक्सीजन वाले बाबा”
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"दुखों को पीछे छोड़ते हुए महाकुंभ में पहुंचे 'ऑक्सीजन वाले बाबा'"
प्रयागराज के संगम तट पर चल रहे महाकुंभ में हर साल लाखों श्रद्धालु और संत आते हैं, लेकिन इस बार एक अद्भुत संत ने महाकुंभ में खास ध्यान आकर्षित किया है। वे हैं श्री महंत इंद्र गिरि जी महाराज, जिन्हें लोग 'ऑक्सीजन वाले बाबा' के नाम से जानते हैं। महाकुंभ में अपने स्थान पर बिस्तर पर लेटे हुए, ऑक्सीजन की नली नाक में लगाए हुए, ये संत भगवान भोलेनाथ का जाप कर रहे हैं।
चार साल पहले कोरोना महामारी के दौरान उनके फेफड़े लगभग पूरी तरह खराब हो गए थे। डॉक्टर्स ने उन्हें चेतावनी दी थी कि केवल आर्टिफिशियल ऑक्सीजन से ही उनकी सांस चल सकती है। लेकिन इस चुनौतीपूर्ण स्थिति के बावजूद, महंत इंद्र गिरि जी ने न सिर्फ डॉक्टर्स की सलाह को नजरअंदाज किया, बल्कि अपने गहरे विश्वास और भक्ति के साथ उन्होंने हरियाणा के कुरुक्षेत्र से लगभग 1000 किलोमीटर का सफर तय किया और महाकुंभ में पहुंच गए।
महंत इंद्र गिरि जी पहले दिगंबर नागा संत थे, लेकिन बीमारी की वजह से उन्होंने दिगंबर स्वरूप त्यागकर वस्त्र धारण किए हैं। उनकी नाक में हमेशा ऑक्सीजन का पाइप लगा रहता है, और यही वजह है कि महाकुंभ के श्रद्धालु उन्हें 'ऑक्सीजन वाले बाबा' के नाम से पुकारते हैं। उनकी उपस्थिति से न सिर्फ उनकी अडिग आस्था की झलक मिलती है, बल्कि यह भी पता चलता है कि भक्ति और जीवन की कठिनाइयों के बीच संत कैसे अपने मार्ग पर चलते हैं।
महाकुंभ क्षेत्र में उनकी छावनी में लोगों का तांता लगा रहता है। कोई उन्हें सिद्ध संत मानता है, तो कोई दूर से ही प्रणाम करके उनका आशीर्वाद लेने आता है। उनके दर्शन के लिए लोग दिन-रात आते हैं, और यह दृश्य दिखाता है कि एक सच्चे संत की भक्ति और समर्पण ही उनका असली बल है।
श्री महंत इंद्र गिरि जी का जीवन एक प्रेरणा है कि भक्ति, आस्था और समर्पण में कोई भी बाधा उनके मार्ग को रोक नहीं सकती। उनका ये संघर्ष और यात्रा यह साबित करता है कि आस्था और आत्मविश्वास से बड़ा कोई इलाज नहीं हो सकता।
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