बिहार में 600 कर्मचारियों की नौकरी पर लटकी तलवार! मिड-डे मील योजना पर संकट ..?

बिहार में 600 कर्मचारियों की नौकरी पर लटकी तलवार! मिड-डे मील योजना पर संकट ..?


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# **बिहार में 600 कर्मचारियों की नौकरी पर लटकी तलवार! 31 मार्च के बाद होगी छंटनी, मिड-डे मील योजना पर संकट या सरकारी प्लानिंग?**  

**पटना:** बिहार में सरकारी नौकरियों की कमी पहले से ही चिंता का विषय बनी हुई है, और अब **600 कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है।** राज्य सरकार ने **31 मार्च 2025** के बाद **मिड-डे मील योजना (Midday Meal Scheme)** में काम कर रहे **आउटसोर्स कर्मचारियों** की **सेवाएं समाप्त करने का आदेश** जारी किया है।  

सरकार का कहना है कि **बजट की कमी** के चलते यह फैसला लिया गया है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या सरकार सच में बजट की कमी से जूझ रही है या फिर यह कोई नई सियासी चाल है? आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं। 

## **600 कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा – आखिर क्यों?**  

बिहार के **मध्याह्न भोजन निदेशालय** ने सभी जिलों के **कार्यक्रम पदाधिकारियों** को आदेश जारी कर दिया है कि **31 मार्च 2025 के बाद 600 आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी।**  


सरकार का कहना है कि **बजट की कमी** इसकी सबसे बड़ी वजह है। इस फैसले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि अगर बजट की इतनी ही कमी थी, तो **2500 नए आंगनबाड़ी केंद्रों** के निर्माण के लिए **300 करोड़ रुपये** की मंजूरी कैसे दे दी गई?  


यानी एक तरफ सरकार **नई परियोजनाओं के लिए करोड़ों रुपये आवंटित कर रही है**, तो दूसरी तरफ **600 कर्मचारियों को बेरोजगार करने का फरमान सुना रही है।**  


अब सवाल यह उठता है कि **क्या यह सच में बजट की कमी है या सरकार की प्राथमिकताएं बदल गई हैं?**  


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## **छंटनी के बाद क्या होगा मिड-डे मील योजना का?**  


बिहार में **मिड-डे मील योजना** लाखों गरीब बच्चों के लिए **संजीवनी** की तरह है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे **पौष्टिक भोजन** के लिए इस योजना पर निर्भर हैं।  


लेकिन जब 600 कर्मचारियों की छंटनी हो जाएगी, तो सवाल यह है कि **इस योजना पर क्या असर पड़ेगा?**  


- **क्या इन कर्मचारियों की जगह नए लोग रखे जाएंगे?**  

- **अगर नहीं, तो क्या बच्चों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा?**  

- **क्या यह योजना धीरे-धीरे कमजोर पड़ने वाली है?**  


सरकार ने इन सवालों का कोई ठोस जवाब नहीं दिया है, जिससे संदेह और बढ़ गया है।  


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## **2500 नए आंगनबाड़ी केंद्र – बेरोजगारी के बीच राहत?**  


अब एक तरफ **600 कर्मचारियों की छंटनी** हो रही है, तो दूसरी तरफ सरकार **2500 नए आंगनबाड़ी केंद्र** खोलने की योजना बना रही है।  


इसके लिए सरकार ने **300 करोड़ रुपये** का बजट तय किया है, जिसमें से **255 करोड़ रुपये नाबार्ड (NABARD)** से लोन के रूप में आएंगे और **45 करोड़ रुपये राज्य सरकार** देगी।  


प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण के लिए **12 लाख रुपये** निर्धारित किए गए हैं।  


यानी एक तरफ **नई नौकरियों के अवसर भी बन रहे हैं**, लेकिन यह सवाल बना हुआ है कि **छंटनी किए गए कर्मचारियों को इनमें मौका मिलेगा या नहीं?**  


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## **विपक्ष का हमला – “सरकार बेरोजगारी की फैक्ट्री बन गई है!”**  


सरकार के इस फैसले पर विपक्ष ने जमकर हमला बोला है।  


**राजद (RJD)** नेता तेजस्वी यादव ने कहा,  

*"बिहार सरकार बेरोजगारी की फैक्ट्री बन गई है। एक तरफ नई नौकरियों के दावे किए जाते हैं और दूसरी तरफ 600 कर्मचारियों को बेरोजगार करने का फरमान सुना दिया जाता है।"*  


**वहीं, पप्पू यादव ने कहा,**  

*"सरकार गरीब बच्चों का हक छीन रही है। मिड-डे मील योजना कमजोर हो जाएगी और गरीब बच्चों को सही पोषण नहीं मिलेगा।"*  


इसके अलावा, **छंटनी के शिकार कर्मचारी भी सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं।**  

## **क्या सरकार इस फैसले पर पुनर्विचार करेगी?**  

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार इस फैसले पर दोबारा विचार करेगी?  

अगर सरकार को **बजट की समस्या** ही थी, तो क्या वह कोई **वैकल्पिक समाधान** नहीं निकाल सकती थी?  

विपक्ष के बढ़ते दबाव और कर्मचारियों के विरोध को देखते हुए यह संभव है कि सरकार इस फैसले पर **पुनर्विचार करे या कोई नया रास्ता निकाले।** 

लेकिन फिलहाल के लिए **600 कर्मचारियों की नौकरी जाना तय माना जा रहा है।**  

## **आपकी राय क्या है?**  


**क्या सरकार का यह फैसला सही है?**  

**क्या बजट की कमी के कारण छंटनी जरूरी थी या यह सरकार की प्राथमिकताओं में बदलाव का संकेत है?**  

**क्या यह बेरोजगारी को बढ़ाने वाला कदम है?**  

आप हमें **कमेंट में अपनी राय जरूर बताएं।**

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