BJP को दी सहनी ने चुनौती दम है तो और नेताओं को खरीद के दिखाएं!.....
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BJP को दी सहनी ने चुनौती दम है तो और नेताओं को खरीद के दिखाएं!.....
बिहार की राजनीति में एक नया समीकरण बनता नजर आ रहा है, जब बिहार की विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने अपने समर्थकों से यह दावा किया कि अगली विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के कम से कम 40 विधायक होंगे। यह बयान उन्होंने सिवान के पानियाडीह पड़ौली में आयोजित निषाद मेला में दिया। सहनी का कहना था कि पिछली बार जब उनकी पार्टी ने 4 सीटें जीतीं, तो भाजपा ने उन विधायकों को खरीद लिया, क्योंकि वे उनकी बढ़ती ताकत से घबरा गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि "अब समय बदल चुका है और आने वाले चुनाव में हमारी पार्टी को 40 विधायक मिलेंगे।"
**वीआइपी का दावा - "हमारी पार्टी बन चुकी है बिहार की ताकत!"**
मुकेश सहनी ने अपनी पार्टी की ताकत का हवाला देते हुए कहा, "अब हमारे समाज का हर बेटा चुनावी टिकट नहीं मांगता, वह बांटता है।" यह बयान उन्होंने अपनी पार्टी के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करने के लिए दिया। सहनी ने यह भी जोड़ा कि "हमारी पार्टी अब एक सशक्त राजनीतिक ताकत बन चुकी है। मैं यह विश्वास दिलाता हूं कि एक दिन बिहार का नेतृत्व मैं करूंगा।" साथ ही, उन्होंने अपने समाज को एकजुट रहने का संदेश दिया और कहा कि समाज के कल्याण के लिए हर किसी का साथ जरूरी है।
**राजकीय दर्जा और 60 करोड़ रुपये का वादा**
सहनी न बिहार सरकार से एक और महत्वपूर्ण मांग की। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को बाबा ज्योतिष नाथ और बाबू कारीख नाथ मेले को राजकीय दर्जा देना चाहिए। इसके अलावा, सहनी ने यह भी वादा किया कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है तो इस मेले को राजकीय दर्जा दिया जाएगा और इसके विकास के लिए 60 करोड़ रुपये की राशि जारी की जाएगी।
**निषाद समाज के लिए आरक्षण की मांग**
सहनी ने निषाद समाज के अधिकारों की बात करते हुए कहा कि बिहार में निषादों के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया जाता है। उन्होंने बिहार सरकार से निषादों के लिए विशेष आरक्षण की मांग की, ताकि उनके समाज का समुचित विकास हो सके और उन्हें समाज में समान अवसर मिल सकें।
**वीआइपी पार्टी की उम्मीदें और बिहार की राजनीति**
वीआइपी पार्टी और मुकेश सहनी की इस नई राजनीतिक रणनीति से बिहार की राजनीति में हलचल मच सकती है। सहनी ने न सिर्फ अपने समर्थकों को उत्साहित किया, बल्कि राज्य की राजनीतिक दिशा को बदलने का भी दावा किया। उनकी यह घोषणा यह भी संकेत देती है कि बिहार में अगले चुनाव में एक नई राजनीतिक ताकत उभर सकती है, जो बदलाव की ओर इशारा करती है।
आखिरकार, इस पूरी स्थिति से यह स्पष्ट है कि मुकेश सहनी और उनकी पार्टी अब सिर्फ एक स्थानीय ताकत नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति के बड़े खिलाड़ी बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
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