राजद और कांग्रेस की टुट पर मंगल पांडेय का बड़ा बयान!कहा बेमेल....."
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कांग्रेस-राजद गठबंधन पर मंगल पांडेय का जोरदार हमला, चुनावी भविष्य पर उठाए गंभीर सवाल
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कांग्रेस और राजद के गठबंधन पर हमला बोलते हुए इसे ‘बेमेल’ और ‘अस्थिर’ बताया है। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनावों में इस गठबंधन की हार तय है। मंगलवार को जारी अपने बयान में पांडेय ने आरोप लगाया कि दोनों दलों में गहरी राजनीतिक असहमति और आपसी मतभेद हैं, जिनका असर राज्य की राजनीति पर पड़ने वाला है।
पांडेय ने कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा, "कांग्रेस का बिहार में अब कोई प्रभाव नहीं है। 2017 से पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष तक नियुक्त नहीं किया। इतना ही नहीं, दिल्ली में पार्टी की हार के बाद कांग्रेस ने कई राज्यों में अपने प्रभारी तक बदल दिए हैं। ऐसे में कांग्रेस को बिहार चुनाव में सफलता की उम्मीद कैसे हो सकती है?" पांडेय का यह आरोप साफ करता है कि कांग्रेस, राजद के नेतृत्व को न केवल नकार रही है, बल्कि यह गठबंधन चुनावी रणनीति से कहीं ज्यादा राजनीतिक मजबूरी लग रहा है।
कांग्रेस और राजद के गठबंधन को लेकर पांडेय ने कहा, "कांग्रेस अब राजद की पिछलग्गू बनकर रह गई है। बिहार में कांग्रेस का असर खत्म हो चुका है और राजद का भविष्य भी खत्म होने के कगार पर है। यह गठबंधन राज्य में किसी भी प्रकार के विकास की दिशा में कोई योगदान नहीं करेगा।" उनका कहना था कि एक ऐसा दल जो अपने संगठनात्मक ढांचे को आठ सालों तक नहीं बना सका, वह कैसे बिहार के जनहित में काम कर सकता है?
मंत्री ने कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता द्वारा एक्स (पूर्व ट्विटर) पर किए गए पोस्ट को भी संदर्भित करते हुए कहा, "इससे साफ हो गया है कि कांग्रेस को न तो राजद के साथ गठबंधन पर भरोसा है, न ही तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर। कांग्रेस का खुद का नेतृत्व भी भ्रमित है और यह गठबंधन चुनावी लाभ नहीं, बल्कि अपनी राजनीतिक अस्तित्व की रक्षा करने की एक कोशिश बनकर रह गया है।"
पांडेय ने यह भी कहा कि जब तक कांग्रेस और राजद के बीच यह मतभेद और असहमति कायम रहेंगे, तब तक बिहार की जनता का विश्वास इन दोनों दलों से उठ चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और राजद दोनों के पास राज्य के लिए कोई ठोस योजना या नीति नहीं है, और उनका ध्यान केवल चुनावी लाभ तक ही सीमित है।
इस बयान ने बिहार की राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। विपक्षी गठबंधन की एकजुटता और चुनावी रणनीतियों पर सवाल उठाते हुए पांडेय ने यह भी पूछा कि क्या इस गठबंधन में वह क्षमता है जो बिहार में विकास और सामाजिक न्याय की दिशा में कुछ सकारात्मक बदलाव ला सके?
आगे की राजनीति में यह देखना होगा कि कांग्रेस और राजद इस आलोचना का क्या जवाब देते हैं और क्या वे अपनी सियासी स्थिति को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम उठाते हैं। वहीं, भाजपा अब इस पूरे घटनाक्रम को अपने चुनावी फायदे के रूप में देख रही है और मान रही है कि आने वाले चुनावों में यह गठबंधन उनके लिए आसान जीत साबित हो सकता है।
पांडेय के बयान ने बिहार के राजनीतिक माहौल में चुनावी घमासान को और तेज कर दिया है। क्या इस गठबंधन को बिहार की जनता अपने भविष्य के लिए सही विकल्प मानती है या फिर यह सिर्फ एक सियासी मजबूरी है, यह आने वाले चुनावों मेंhttps://youtu.be/EZOnOtybpug ही स्पष्ट होगा।
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