ओछेपन और अभद्रता की सभी हदें पार कर दी खान सर ने ! नीतीश सरकार को एक बार फिर दे डाली धमकी?
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बीपीएससी 70वीं परीक्षा विवाद: खान सर और आयोग के बीच तनातनी, क्या फिर से होगा री-एग्जाम?
बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी की 70वीं परीक्षा को रद्द कर पुनः परीक्षा आयोजित करने की मांग को लेकर अभ्यर्थियों का आंदोलन अभी भी जारी है। इस बार इस मुद्दे ने और भी तूल पकड़ लिया है, क्योंकि बिहार के सुप्रसिद्ध कोचिंग संचालक खान सर भी आंदोलन में छात्रों के साथ खड़े हो गए हैं। खान सर का दावा है कि उनके पास परीक्षा में गड़बड़ी के ठोस सबूत हैं, जिन्हें वह जल्द ही हाईकोर्ट में पेश करेंगे। उनका यह भी कहना है कि अगर बीपीएससी ने पुनः परीक्षा आयोजित नहीं की तो छात्रों का आंदोलन और तेज हो सकता है।
खान सर का कहना है कि आयोग को अंततः री-एग्जाम कराना ही पड़ेगा, क्योंकि अदालत आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला सुनाएगी। उन्होंने बीपीएससी और बिहार सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी जातीं तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। इसके बाद बीपीएससी ने 70वीं मेंस परीक्षा की तिथि घोषित कर दी और खान सर को एक नया नोटिस भेजा।
नोटिस मिलने पर खान सर ने अपनी भड़ास निकालते हुए कहा, "जब-जब बीपीएससी डरता है, नोटिस जारी कर देता है। पिछले तीन दिन में आयोग ने तीन नोटिस जारी कर दिए हैं। जब परीक्षा का मुद्दा हाई कोर्ट में लंबित है, तो आयोग को इतनी जल्दी क्यों है?" उनका कहना है कि अदालत इस मामले में न्यायपूर्ण निर्णय देगी, और बीपीएससी को री-एग्जाम कराना पड़ेगा। खान सर ने यह भी दावा किया कि आयोग का घमंड टूटेगा और उनकी मांग पूरी होगी।
इस बीच, बीपीएससी ने खान सर के खिलाफ पलटवार करते हुए एक वीडियो जारी किया। आयोग ने खान सर पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने अभद्रता और ओछी भाषा का प्रयोग किया है, जो अस्वीकार्य है। आयोग ने कहा, "यह स्वयंभू कोचिंग संचालक बिहार के युवाओं के भविष्य निर्माता बनने का दावा करते हैं, लेकिन इनकी भाषा की स्तर को देखकर यह सवाल उठता है कि क्या ऐसे 'गुरु' बिहार के युवाओं का मार्गदर्शन कर सकते हैं?" आयोग ने छात्रों को इस प्रकार के 'गुरुओं' से सावधान रहने की सलाह दी है।
बीपीएससी और खान सर के बीच यह विवाद अब एक गंभीर मोड़ पर आ गया है। जहाँ एक ओर आयोग का कहना है कि परीक्षा के परिणाम वैध हैं और वह सही प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर खान सर और छात्र आंदोलनकारियों का मानना है कि परीक्षा में गड़बड़ी हुई है, जिसे सुधारने के लिए पुनः परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए।
यह विवाद अब केवल बीपीएससी की 70वीं परीक्षा तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह बिहार के शिक्षा और परीक्षा प्रणाली पर एक बड़ा सवाल भी खड़ा करता है। बिहार के युवाओं का भविष्य इस संघर्ष में दांव पर है, और सभी की नजरें अब कोर्ट और बीपीएससी की ओर हैं, जो इस मामले का अंतिम निर्णय लेने में जुटे हैं।
क्या बीपीएससी को अपना निर्णय बदलने पर मजबूर होना पड़ेगा? क्या आंदोलनकारियों की मांग पूरी होगी? यह सवाल अब हर किसी के ज़ुबान पर है और जल्द ही इसका जवाब मिलेगा, जब अदालत और बीपीएससी इस मामले को लेकर कोई ठोस कदम उठाएंगे।
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