नीतीश vs चिराग:नीतीश का आखिरी दांव! चिराग की चाल और NDA की उलझी सियासत

नीतीश vs चिराग:नीतीश का आखिरी दांव! चिराग की चाल और NDA की उलझी सियासत


 YouTube video link....https://youtu.be/X4AaB250ZzQ

**बिहार में सियासी महासंग्राम! नीतीश की साख दांव पर, चिराग का नया खेल, NDA में मचे घमासान की पूरी कहानी**  

बिहार की राजनीति हमेशा से उठापटक और सियासी समीकरणों के लिए जानी जाती रही है। लेकिन इस बार का विधानसभा चुनाव कई वजहों से खास और दिलचस्प हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो अब तक राजनीति के सबसे चतुर खिलाड़ियों में गिने जाते रहे हैं, इस बार अपनी साख बचाने की चुनौती से जूझ रहे हैं। वहीं, चिराग पासवान की नई चाल और एनडीए के भीतर की खींचतान ने चुनावी जंग को और भी रोचक बना दिया है।

### **नीतीश कुमार की चुनौतियाँ और सियासी यू-टर्न**

नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में अपनी बदलती निष्ठाओं के लिए जाने जाते हैं। कभी भाजपा के साथ तो कभी विपक्ष में, उनका यह राजनीतिक सफर हमेशा चर्चा का विषय रहा है। 2020 के विधानसभा चुनावों में चिराग पासवान ने एलजेपी के जरिये जेडीयू को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। इसके बाद 2022 में नीतीश ने भाजपा से नाता तोड़कर महागठबंधन का दामन थाम लिया। लेकिन हाल ही में उन्होंने फिर से पलटी मारते हुए एनडीए में वापसी कर ली।

नीतीश का यह राजनीतिक सफर मतदाताओं के लिए उलझन भरा हो सकता है। अब सवाल उठता है कि क्या जनता इस बार भी नीतीश को ‘सुशासन बाबू’ के रूप में स्वीकार करेगी, या उनके बार-बार बदलते पाले की वजह से उनकी लोकप्रियता में गिरावट आएगी?

### **चिराग पासवान – बिहार की राजनीति के ‘गेम चेंजर’**

चिराग पासवान 2020 के चुनावों में भाजपा समर्थकों के लिए एक नया विकल्प बनकर उभरे थे। उन्होंने खुलेआम मोदी का समर्थन किया, लेकिन नीतीश पर हमला जारी रखा। नतीजा यह हुआ कि जेडीयू की सीटें घटकर 43 रह गईं और भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। लेकिन चिराग को खुद ज्यादा फायदा नहीं हुआ और उनकी पार्टी सिर्फ एक सीट जीत सकी।

अब 2025 के चुनावों में चिराग ने पूरी तरह से एनडीए का साथ देने का फैसला किया है। सवाल यह है कि क्या इस बार उनका यह कदम उन्हें बिहार की राजनीति में बड़ा कद दिला पाएगा? या फिर वे सिर्फ एक मोहरा बनकर रह जाएंगे?

### **NDA में मचा घमासान और भाजपा की रणनीति**

भाजपा, जो बिहार में हमेशा ‘बड़े भाई’ की भूमिका में रहने की कोशिश करती रही है, इस बार नीतीश कुमार को लेकर दोहरे दबाव में है। एक तरफ उसे जेडीयू का समर्थन भी चाहिए, तो दूसरी तरफ अपने कार्यकर्ताओं में यह संदेश नहीं देना चाहती कि वह सिर्फ नीतीश के भरोसे है। महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी भाजपा नेताओं को लग रहा है कि अगर वे ज्यादा सीटें जीत लेते हैं, तो मुख्यमंत्री पद का दावा कर सकते हैं।

संजय झा और अन्य जेडीयू नेता इस चुनौती को भांप चुके हैं और अब पार्टी की छवि को मजबूत करने के लिए रणनीति बना रहे हैं। जेडीयू कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए लगातार सभाएं की जा रही हैं और नीतीश कुमार खुद ‘प्रगति यात्रा’ के जरिए अपनी छवि सुधारने में जुटे हैं।

### **नीतीश के लिए ‘करो या मरो’ की स्थिति**

इस चुनाव में नीतीश कुमार के सामने ‘करो या मरो’ की स्थिति है। उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती अपनी प्रासंगिकता बनाए रखना है। क्या जनता इस बार भी उनके नेतृत्व को स्वीकार करेगी या फिर भाजपा, चिराग और अन्य क्षेत्रीय दल मिलकर उन्हें सियासी हाशिए पर धकेल देंगे? यह तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे, लेकिन इतना तय है कि बिहार की राजनीति इस बार जबरदस्त घमासान से गुजरेगी।

0 Response to "नीतीश vs चिराग:नीतीश का आखिरी दांव! चिराग की चाल और NDA की उलझी सियासत"

एक टिप्पणी भेजें

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article