Nitish Kumar नहीं है मुख्यमंत्री बनने के लायक डेटा में गड़बड़ी से मचा हड़कंप.........!

Nitish Kumar नहीं है मुख्यमंत्री बनने के लायक डेटा में गड़बड़ी से मचा हड़कंप.........!


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"नीतीश नहीं है मुख्यमंत्री बनने के लायक डेटा में गड़बड़ी से मचा हड़कंप!.…..…...."

बिहार के शिक्षा विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती सामने आई है। राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे 10 लाख से ज्यादा बच्चों के डेटा में कई गंभीर त्रुटियां पाई गई हैं, जिससे विभाग में हड़कंप मच गया है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे लाखों बच्चों की जन्मतिथि और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी सही तरीके से दर्ज नहीं की गई है, जिससे लाभकारी योजनाओं की निगरानी में कठिनाई आ रही है।

शिक्षा विभाग ने ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों की जांच की, तो यह पाया गया कि 10 लाख 29 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं के डेटा में गड़बड़ियां हैं। इनमें से 5 लाख 26 हजार छात्रों की जन्मतिथि गलत पाई गई है, जो उनके कक्षा के अनुरूप नहीं है। इसके अलावा, 4 लाख 50 हजार से ज्यादा बच्चों के बैंक खातों के आंकड़े भी गलत पाए गए हैं, जहां एक ही खाते में एक से अधिक नाम दर्ज हैं। और तो और, 2,500 बच्चों के माता-पिता के नाम भी एक ही के तौर पर दर्ज हो गए हैं। इन गड़बड़ियों के कारण कई सरकारी योजनाओं की सही ढंग से निगरानी नहीं हो पा रही है, और यह स्थिति शिक्षा विभाग के लिए चिंता का कारण बन चुकी है।

इस डेटा त्रुटि के सामने आने के बाद राज्य शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया है। शिक्षा विभाग ने जिलों के अधिकारियों को तीन दिन का अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि वे इन गड़बड़ियों को तत्काल ठीक करें। विभाग ने स्पष्ट किया है कि इन त्रुटियों को सुधारने में विफल रहने पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। विभागीय पत्र में कहा गया है, "लाभकारी योजनाओं के लिए आवश्यक आंकड़ों को सही तरीके से दर्ज किया जाना चाहिए, ताकि योजनाओं का फायदा जरूरतमंद बच्चों तक पहुंचे।"

यह स्थिति शिक्षा विभाग के लिए बहुत गंभीर है, क्योंकि राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत बच्चों को वित्तीय सहायता और अन्य सुविधाएं प्रदान करती है, और इन योजनाओं की सफलता सही आंकड़ों पर निर्भर करती है। ऐसे में अगर आंकड़ों में गड़बड़ी रहती है तो राज्य सरकार के लिए इन योजनाओं का प्रभावी तरीके से संचालन मुश्किल हो सकता है।

अब देखना यह है कि शिक्षा विभाग और जिलों के अधिकारी तीन दिनों के अल्टीमेटम में इन गड़बड़ियों को कैसे सुधारते हैं। इस त्रुटि को लेकर विभाग के अंदर और राज्यभर में कड़ी निगरानी रखी जाएगी। इस मामले ने न केवल शिक्षा विभाग को परेशानी में डाला है, बल्कि राज्य की प्रशासनिक कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए हैं, क्योंकि 10 लाख बच्चों के डेटा में इतनी बड़ी त्रुटि का सामने आना चिंता का विषय बन चुका है। 


अब इस स्थिति पर बिहार सरकार के शिक्षा विभाग को अपनी छवि सुधारने और सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ेगा कि भविष्य में इस तरह की समस्याएं न हों।

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