क्या फर्क रह जाएगा लालू नीतीश में जेडीयू नेता का बड़ा बयान?...
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जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के भीतर राजनीति गरमा गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की संभावित राजनीतिक एंट्री को लेकर जहां पार्टी के कई नेता स्वागत में पोस्टर-बैनर लगा रहे हैं, वहीं अब विरोध के स्वर भी सुनाई देने लगे हैं। जेडीयू के एक कद्दावर नेता और विधान पार्षद भगवान सिंह कुशवाहा ने खुलकर सवाल उठाया है कि अगर निशांत राजनीति में आ जाते हैं तो फिर लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार में क्या अंतर रह जाएगा? यह बयान उस समय आया है जब पार्टी के कई नेता खुलेआम निशांत की सक्रियता का समर्थन कर रहे हैं। लेकिन भगवान सिंह कुशवाहा की यह टिप्पणी जेडीयू के भीतर नए विवाद को जन्म दे सकती है।
भगवान सिंह कुशवाहा ने साफ कहा कि निशांत को लेकर जेडीयू के दफ्तर के बाहर पोस्टर लगाए जा सकते हैं, लेकिन यह कोई आधिकारिक निर्णय नहीं है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अब तक न तो खुद नीतीश कुमार और न ही पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा या वरिष्ठ मंत्री विजय चौधरी जैसे किसी बड़े नेता ने निशांत की राजनीति में एंट्री को लेकर बयान दिया है, तो फिर आखिर यह चर्चा क्यों गर्म हो रही है? उनका कहना है कि जेडीयू में सबकुछ नीतीश कुमार ही तय करते हैं और जब तक वे खुद इस पर कुछ नहीं कहते, तब तक निशांत की एंट्री महज कयास भर है।
भगवान सिंह कुशवाहा का बयान इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि वे बिहार की राजनीति में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। वामपंथी पृष्ठभूमि से आने वाले कुशवाहा 1990 में इंडियन पीपुल्स फ्रंट के टिकट पर जगदीशपुर से विधायक बने थे। यह पार्टी आगे चलकर सीपीआई-एमएल के रूप में जानी गई। बाद में वे समता पार्टी में आए और फिर जेडीयू में शामिल हो गए। इसके अलावा, उन्होंने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी में भी अपनी राजनीतिक यात्रा की। 2020 का चुनाव चिराग पासवान की पार्टी से लड़ने और हारने के बाद 2021 में वे फिर से जेडीयू में लौटे और नीतीश कुमार ने पिछले साल उन्हें विधान पार्षद बना दिया। ऐसे में उनका बयान सीधे तौर पर जेडीयू के भीतर की उथल-पुथल को उजागर कर रहा है।
इस पूरे विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने निशांत के जेडीयू में सक्रिय होने का समर्थन किया है। इससे पहले जब निशांत ने पहली बार कोई राजनीतिक बयान दिया था और एनडीए द्वारा नीतीश को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की बात उठाई थी, तब से जेडीयू, भाजपा और एनडीए के अन्य घटक दलों के नेता उनके समर्थन में बोल रहे हैं। लेकिन अब पहली बार खुद जेडीयू के ही एक वरिष्ठ नेता ने इस मुद्दे पर असहमति जताई है।
निशांत कुमार की राजनीति में एंट्री को लेकर कई दिनों से चर्चाएं जोरों पर हैं। पोस्टर, बैनर, और नेताओं के बयानों के बीच जेडीयू के भीतर ही अलग-अलग सुर सुनाई देने लगे हैं। क्या निशांत कुमार वाकई राजनीति में उतरने जा रहे हैं या फिर यह सिर्फ कुछ नेताओं का उत्साह है? क्या पार्टी के भीतर इसको लेकर सहमति है या फिर मतभेद और गहरे होंगे? यह सब आने वाले दिनों में साफ हो पाएगा। लेकिन भगवान सिंह कुशवाहा के इस बयान ने जेडीयू के भीतर नए सियासी समीकरणों की आहट जरूर दे दी है।
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