बिहार में खून की होली कैसे थमी? रणवीर सेना और माले की जंग के बीच श्री श्री रविशंकर ने किया वो काम, जो सरकार भी न कर पाई!  #shrishriravishankar #latestnews #news #breakingnews #biharnews #nitishkumar #ranveersena

बिहार में खून की होली कैसे थमी? रणवीर सेना और माले की जंग के बीच श्री श्री रविशंकर ने किया वो काम, जो सरकार भी न कर पाई! #shrishriravishankar #latestnews #news #breakingnews #biharnews #nitishkumar #ranveersena


 YouTube video link...https://youtu.be/R0oIlhs2758

### **बिहार में खून की होली कैसे थमी? रणवीर सेना और माले की जंग के बीच श्री श्री रविशंकर ने किया वो काम, जो सरकार भी न कर पाई!**  

बिहार, एक समय ऐसा राज्य था जहां रणवीर सेना और भाकपा माले के बीच खूनी जंग आम बात थी। एक तरफ उच्च जाति के जमींदारों की निजी सेना रणवीर सेना थी, तो दूसरी ओर मजदूरों और किसानों के हक की लड़ाई लड़ने वाली भाकपा माले। दोनों के बीच संघर्ष इतना बढ़ गया था कि नरसंहारों का दौर शुरू हो गया था। पर **सवाल ये उठता है कि अचानक ये नरसंहार कैसे बंद हो गए?** क्या सरकार ने सख्ती दिखाई या फिर कोई और ताकत थी जिसने इस खूनी संघर्ष को रोका? इस सवाल का जवाब खुद **आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर** ने हाल ही में दिया। उन्होंने बताया कि कैसे उनकी पहल से बिहार में नरसंहार रुका और रणवीर सेना व माले के लोग एक ही छत के नीचे आ गए। 

### **रणवीर सेना और माले के खूनी टकराव की कहानी**  

90 के दशक और 2000 के शुरुआती वर्षों में बिहार की धरती पर खूनी खेल खेला जा रहा था। **बथानी टोला, लक्ष्मणपुर बाथे, शंकरबिगहा** जैसे नरसंहार इस बात की गवाही देते हैं कि किस तरह बिहार जातीय हिंसा के नर्क में जल रहा था। रणवीर सेना उच्च जाति के प्रभावशाली लोगों की निजी सेना थी, जिसका मकसद नक्सलियों और दलितों को कुचलना था। वहीं, भाकपा माले (सीपीआई माले) किसानों और मजदूरों के हक के लिए लड़ने वाली पार्टी थी, जो अपने समर्थकों को किसी भी कीमत पर न्याय दिलाना चाहती थी। इस टकराव में **सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए, गांव के गांव जला दिए गए और खून की नदियां बह गईं।**  


लेकिन **सवाल ये है कि जब सरकारें इसे रोकने में नाकाम रहीं, तो ये नरसंहार आखिर कैसे बंद हुए?**  


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### **श्री श्री रविशंकर की अनसुनी कहानी: जब हथियार छोड़ने पड़े!**  


हाल ही में पटना में एक सत्संग के दौरान **आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर** ने खुलासा किया कि बिहार में नरसंहार रोकने के पीछे उनकी भी एक अहम भूमिका रही। उन्होंने बताया कि 2005 से पहले बिहार नरसंहारों के दौर से गुजर रहा था, लेकिन **उनकी पहल के बाद यह सिलसिला थम गया।**  


उन्होंने बताया, *"जब मैं पहली बार गया गया, तो लोगों ने मुझसे कहा कि शाम 5 बजे के बाद कोई घर से बाहर नहीं निकलता। लोग डर के साए में जी रहे थे। तब मैंने इस समस्या को खत्म करने की ठानी।"*  


इसके बाद उन्होंने अपने दो टीचर्स को बिहार भेजा। **एक टीचर को रणवीर सेना के लोगों से संपर्क करने की जिम्मेदारी दी गई और दूसरे को भाकपा माले के लोगों से बातचीत करने का काम सौंपा गया।** उनके निर्देश पर दोनों टीचर्स ने इन गुटों के नेताओं से बात की और उन्हें ऋषिकेश के आश्रम में आने का न्योता दिया।  


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### **जब रणवीर सेना और माले के नेता एक ही छत के नीचे आ गए!**  


जब रणवीर सेना और माले के नेता आश्रम पहुंचे, तो माहौल बेहद तनावपूर्ण था। दोनों ही गुटों को इस बात की भनक नहीं थी कि उनके कट्टर दुश्मन भी वहीं मौजूद हैं। जब उन्हें इस बारे में पता चला तो **आश्रम में बम फटने जैसी स्थिति बन गई।**  


श्री श्री रविशंकर ने बताया कि उस समय दोनों पक्षों ने कहा, *"गुरुदेव, आपने हमें धोखा दिया। अगर हमें पता होता कि ये लोग भी आ रहे हैं, तो हम कभी नहीं आते!"*  


इस माहौल को शांत करने के लिए **श्री श्री रविशंकर ने उन्हें सुदर्शन क्रिया करवाई, ध्यान-योग सिखाया और शांति की राह पर चलने की प्रेरणा दी।** धीरे-धीरे दोनों गुटों के नेताओं का गुस्सा शांत होने लगा। उन्होंने पहली बार एक-दूसरे को एक इंसान की तरह देखा, न कि दुश्मन के रूप में।  


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### **एक रात में बदल गई सोच, और फिर नरसंहार बंद हो गए!**  


आश्रम में एक साथ बिताई गई रात ने दोनों पक्षों की सोच बदल दी। उन्होंने पहली बार अहसास किया कि **जो लड़ाई वे लड़ रहे हैं, उसमें दोनों पक्षों के निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं।**  


इस सुलह के बाद, दोनों गुटों ने हथियार डालने और हिंसा से दूर रहने का फैसला किया। श्री श्री रविशंकर ने दावा किया कि **उसके बाद से बिहार में एक भी नरसंहार नहीं हुआ।** उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया का वीडियो आज भी उनके पास मौजूद है।  


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### **तो क्या बिहार में शांति लाने का श्रेय श्री श्री रविशंकर को जाता है?**  


नीतीश सरकार यह दावा करती है कि उनकी कड़ी कानून-व्यवस्था नीति के कारण बिहार में नरसंहार बंद हुए, लेकिन श्री श्री रविशंकर की इस कहानी के बाद सवाल खड़ा होता है – **क्या वास्तव में सरकार ने नरसंहार रोके या फिर आध्यात्मिक ताकत ने यह कर दिखाया?**  


यह सवाल अब भी बहस का विषय है, लेकिन एक बात तो तय है कि अगर रणवीर सेना और भाकपा माले के लोग एक साथ आ सकते हैं और हिंसा छोड़ सकते हैं, तो **शांति की राह कभी भी असंभव नहीं होती!**

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