मृत शिक्षिका से मांगा जवाब, 24 घंटे में स्पष्टीकरण नहीं तो कार्रवाई –बिहार शिक्षा विभाग की बड़ी चूक!

मृत शिक्षिका से मांगा जवाब, 24 घंटे में स्पष्टीकरण नहीं तो कार्रवाई –बिहार शिक्षा विभाग की बड़ी चूक!


 YouTube video link....https://youtu.be/CrBwUCna6SA

**मृत शिक्षिका से 24 घंटे में मांगा जवाब, नहीं देने पर कार्रवाई की चेतावनी – बिहार शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही आई सामने**

बिहार का शिक्षा विभाग एक बार फिर अपने कारनामों को लेकर सुर्खियों में है, और इस बार जो हुआ है वो न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि बेहद शर्मनाक भी है। पूर्वी चंपारण जिले के अरेराज प्रखंड स्थित गोबिंदगंज गर्ल्स स्कूल की एक शिक्षिका जो एक साल पहले इस दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं, उनसे विभाग ने जवाबतलबी की है। और सिर्फ इतना ही नहीं, बाकायदा यह चेतावनी भी दे दी गई है कि अगर 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण नहीं दिया गया तो कार्रवाई की जाएगी।

यह पूरा मामला तब सामने आया जब मोतिहारी के जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) सजीव कुमार सिंह ने 3 अप्रैल को ‘ई-शिक्षा कोष’ ऐप के माध्यम से शिक्षकों की उपस्थिति की जांच की। इस जांच में कुल 969 शिक्षक अनुपस्थित पाए गए। इसी सूची में 52वें नंबर पर मृत शिक्षिका **उर्मिला कुमारी** का नाम दर्ज मिला। शिक्षिका का निधन करीब एक साल पहले हो चुका है, इसके बावजूद उनका नाम गैरहाजिर कर्मचारियों की सूची में दर्ज कर स्पष्टीकरण मांगा गया। विभाग ने बाकायदा नोटिस जारी कर कहा कि यदि जवाब नहीं मिला, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।


इस सूची में एक और नाम है—**तारकेश्वर प्रसाद**, जो एक साल पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उनसे भी विभाग ने जवाब मांगा है। अब सवाल यह है कि क्या विभाग के पास न तो सही रिकॉर्ड है और न ही मानवीय संवेदनाएं? क्या तकनीक का उपयोग सिर्फ खानापूर्ति के लिए हो रहा है?


इस पूरे मामले ने न सिर्फ लोगों को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी आग की तरह फैल गया है। यूजर्स ने तंज कसते हुए पूछा—**"क्या अब यमलोक से भी स्पष्टीकरण भेजा जाएगा?"** कई लोगों ने विभाग की कार्यशैली को 'डिजिटल मजाक' करार दिया है। सवाल ये भी उठ रहा है कि अगर मृत और सेवानिवृत्त शिक्षकों के रिकॉर्ड तक विभाग अपडेट नहीं कर पा रहा, तो बच्चों की शिक्षा व्यवस्था पर इसका क्या असर पड़ रहा होगा?

बिहार सरकार भले ही डिजिटल गवर्नेंस की बात करती हो, लेकिन शिक्षा विभाग की यह गलती साफ तौर पर बताती है कि ज़मीनी हकीकत कितनी कमजोर है। ई-शिक्षा कोष ऐप का उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही लाना था, लेकिन जब मृतकों से भी जवाब मांगा जा रहा है, तो यह ऐप एक मज़ाक बनकर रह गया है।

अब सवाल यह है कि इस भारी लापरवाही की जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या डीईओ खुद इस गलती को स्वीकार करेंगे या फिर नीचे के कर्मचारियों पर दोष मढ़ा जाएगा? क्या विभाग इस गलती से कोई सबक लेगा और रिकॉर्ड अपडेट करेगा, या यह मामला भी कुछ दिन बाद ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?

इस घटना ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है और अब जनता को सिर्फ जवाब नहीं, कार्रवाई भी चाहिए। क्योंकि अगर इस बार भी गलती पर पर्दा डाला गया, तो आने वाले समय में ऐसे ‘डिजिटल चमत्कार’ और भी देखने को मिल सकते हैं।

0 Response to "मृत शिक्षिका से मांगा जवाब, 24 घंटे में स्पष्टीकरण नहीं तो कार्रवाई –बिहार शिक्षा विभाग की बड़ी चूक!"

एक टिप्पणी भेजें

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article