बिहार की बिजली व्यवस्था में ऐतिहासिक सुधार?.... | Nitsih kumar| Bihar news
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बिहार की बिजली व्यवस्था में ऐतिहासिक सुधार की कहानी अब पूरे देश के लिए मिसाल बन गई है। दशकों तक तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान (एटीएंडसी लॉस) के मामले में पिछड़ने वाला बिहार अब देश के औसत से भी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में जहां पूरे देश में औसतन बिजली कंपनियों का नुकसान 17.60 फीसदी रहा, वहीं बिहार की दोनों वितरण कंपनियों—नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (NBPDCL) और साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (SBPDCL)—ने इसे घटाकर 15.50 फीसदी तक ला दिया है।
यह कोई सामान्य उपलब्धि नहीं है। दो दशक पहले, जब बिहार में बिजली वितरण व्यवस्था बदहाली की तस्वीर थी, उस समय राज्य में बिजली कंपनियों का नुकसान 59.15 फीसदी तक था। यानी हर 100 यूनिट बिजली में करीब 60 यूनिट का या तो चोरी हो रहा था, या बर्बाद। मगर अब, आधुनिक रणनीति, तकनीकी सुधार और उपभोक्ता के विश्वास को मजबूत करने वाली पहल ने बिहार को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।
बिजली कंपनी की ओर से शनिवार को दी गई जानकारी के मुताबिक, NBPDCL ने एटीएंडसी लॉस को 14.5 फीसदी तक सीमित कर दिया है, जबकि SBPDCL ने 17 फीसदी का आंकड़ा छुआ है। इस तरह पहली बार बिहार देश के औसत से नीचे एटीएंडसी लॉस दर्ज करने वाला राज्य बन गया है।
इन कंपनियों ने इस बदलाव के लिए कई ठोस कदम उठाए। वितरण प्रणाली को दुरुस्त किया गया, नए कनेक्शन देने की प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाया गया, सटीक बिलिंग सिस्टम लागू किए गए और सबसे अहम—उपभोक्ता के साथ संवाद और भरोसे को प्राथमिकता दी गई। इसी का असर है कि विद्युत मंत्रालय द्वारा जारी उपभोक्ता सेवा रेटिंग में NBPDCL को ए ग्रेड और SBPDCL को बी+ ग्रेड मिला है।
इस सुधार की सीधी झलक राजस्व वसूली में भी दिख रही है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य की बिजली कंपनियों ने रिकॉर्ड 17,114 करोड़ रुपये की वसूली की, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 की 15,109 करोड़ रुपये की तुलना में करीब 13 फीसदी अधिक है। यह आंकड़ा न केवल सुधार की पुष्टि करता है, बल्कि बताता है कि उपभोक्ताओं का सिस्टम पर भरोसा लगातार बढ़ रहा है।
ऊर्जा सचिव सह बिजली कंपनी के चेयरमैन-कम-मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज कुमार पाल ने कहा, *"राष्ट्रीय औसत से कम नुकसान होना वाकई बड़ी उपलब्धि है, खासकर तब जब हमारे 85 फीसदी उपभोक्ता ग्रामीण इलाकों से आते हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में कंपनियां गुणवत्तापूर्ण और निर्बाध बिजली आपूर्ति, सटीक बिलिंग और उपभोक्ता शिकायतों के त्वरित समाधान को प्राथमिकता देती रहेंगी।*
बिहार की यह कामयाबी न सिर्फ एक आर्थिक सुधार है, बल्कि यह उस बदले हुए विजन की झलक है, जिसमें सुशासन और तकनीकी दक्षता के साथ आम लोगों को बेहतर सेवाएं देने का संकल्प झलकता है। यह उपलब्धि बताती है कि अगर रणनीति सही हो, और इच्छाशक्ति मजबूत, तो बदलाव मुमकिन है—even in the most power-starved corners of the country.
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