3831 करोड़ की लागत, दो दिन में दरार,क्या चुनावी जल्दबाजी में जनता की जान से खिलवाड़ कर रही है सरकार?

3831 करोड़ की लागत, दो दिन में दरार,क्या चुनावी जल्दबाजी में जनता की जान से खिलवाड़ कर रही है सरकार?


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बिहार की राजधानी पटना से एक बार फिर हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। 3831 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ जेपी गंगा पथ पुल, जिसका उद्घाटन महज दो दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद बड़े धूमधाम से किया था, उसमें अब दरारें आ गई हैं। जी हां, इस पुल में दीदारगंज के पास पिलर नंबर A-3 पर साफ-साफ क्रैक देखे गए हैं। यह वही पुल है, जिसे लेकर राज्य सरकार ने बड़ी-बड़ी बातें कही थीं — और जनता को एक बेहतर कनेक्टिविटी का सपना दिखाया गया था। लेकिन उद्घाटन के कुछ घंटे बाद ही जब इस पुल पर गाड़ियों की आवाजाही शुरू हुई, तो सड़क की असली सच्चाई सामने आ गई। 


दरारों की खबर सामने आने के बाद न सिर्फ लोगों में गुस्सा है, बल्कि सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। जनता यह पूछ रही है कि क्या सिर्फ चुनावी फायदे के लिए और दिखावे के चक्कर में बिना सही जांच-पड़ताल के पुल का लोकार्पण कर दिया गया? जिस दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पुल का उद्घाटन किया था, उस दिन मौसम भी साफ नहीं था। तेज बारिश और आंधी के बीच लोकार्पण का कार्यक्रम हुआ, मंच पर बड़े-बड़े नेता, मंत्री और अफसर मौजूद थे। लेकिन अब यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इतनी जल्दबाजी किस बात की थी? 


बिहार में यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी नए पुल में निर्माण के कुछ ही समय के भीतर दरारें देखने को मिली हों। इससे पहले अररिया जिले में भी नवनिर्मित पुल में क्रैक की खबर आई थी। और अब पटना का यह मामला बिहार की सड़कों और पुलों के निर्माण की सच्चाई को एक बार फिर उजागर कर रहा है। करोड़ों रुपये खर्च कर के जनता को जो सुविधाएं दी जाती हैं, वे असल में कितनी टिकाऊ हैं, यह सवाल आज फिर चर्चा में है। 


इस पुल के निर्माण में लापरवाही का अंदेशा भी गहराता जा रहा है, क्योंकि उद्घाटन के महज 48 घंटे के अंदर जब सड़क पर ट्रैफिक का दबाव बढ़ा, तो दोनों लेन में दरारें दिखने लगीं। इसका मतलब सीधा-सीधा यही निकाला जा रहा है कि निर्माण के दौरान गुणवत्ता से समझौता किया गया। अब सोशल मीडिया पर भी यह मामला जमकर वायरल हो रहा है, और लोग सवाल पूछ रहे हैं कि 3831 करोड़ खर्च करने के बाद भी ऐसा हाल क्यों? 


बिहार में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में भी इस घटना पर चर्चा तेज हो गई है। विरोधी दल सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि जनता को चुनावी तोहफा देने की जल्दबाजी में जान की परवाह तक नहीं की गई। तेज बारिश और आंधी के बीच उद्घाटन करना यह दर्शाता है कि सरकार ने इस प्रोजेक्ट के तकनीकी परीक्षण पर कितना ध्यान दिया। 


लोगों का मानना है कि अगर यह पुल मजबूती से तैयार किया गया होता, तो इस तरह की दरारें इतनी जल्दी नजर नहीं आतीं। अब दीदारगंज से लेकर दीघा तक के इस पुल के अन्य हिस्सों की भी जांच की मांग हो रही है। सवाल यह भी है कि अगर समय रहते इस क्रैक को नजरअंदाज कर दिया गया, तो आने वाले समय में यह पुल किसी बड़े हादसे का कारण बन सकता है। 


फिलहाल विभागीय अधिकारी मौके पर जांच में जुटे हैं। लेकिन जनता की नजरें सरकार पर टिकी हुई हैं। यह मामला सिर्फ एक पुल का नहीं बल्कि सिस्टम की सच्चाई को भी उजागर कर रहा है। करोड़ों की लागत से तैयार प्रोजेक्ट्स में बार-बार खामी मिलना यह बताता है कि कहीं न कहीं निगरानी और ईमानदारी की कमी है। 


सरकार को अब इस पूरे प्रकरण पर ईमानदार और पारदर्शी जांच करानी चाहिए। यह जानना बेहद जरूरी है कि इतनी बड़ी रकम खर्च होने के बाद भी निर्माण की गुणवत्ता में कमी क्यों रही। साथ ही दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में जनता के पैसों से इस तरह खिलवाड़ न हो सके।

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