भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने दाखिल खारिज को लेकर दिए कड़े निर्देश?...

भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने दाखिल खारिज को लेकर दिए कड़े निर्देश?...


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बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने दाखिल-खारिज प्रक्रिया को पारदर्शी और सुचारू बनाने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि दाखिल-खारिज के लिए आवेदन करते समय आवेदक केवल अपना ही मोबाइल नंबर दर्ज करें। खासतौर पर अगर कोई व्यक्ति सीएससी सेंटर या साइबर कैफे से आवेदन कर रहा है, तो उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वहां के संचालक का नंबर न दिया जाए। यह चेतावनी इसलिए दी गई है ताकि आवेदकों को उनके आवेदन की स्थिति की जानकारी सही समय पर मिल सके और कोई अन्य व्यक्ति उनके नाम पर आवेदन की जानकारी प्राप्त न कर सके।  


मंत्री ने यह भी कहा कि दाखिल-खारिज प्रक्रिया में देरी या लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बीते छह महीनों में जिन अधिकारियों का प्रदर्शन खराब रहा है, उन पर विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। उन्होंने बुधवार को विभागीय समीक्षा बैठक में स्पष्ट किया कि दाखिल-खारिज मामलों में अनावश्यक देरी या गलत तरीके से अस्वीकृति को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कई अंचलाधिकारियों द्वारा मामूली त्रुटियों के कारण आवेदनों को अस्वीकृत कर दिया जाता है, जिससे न केवल आम जनता को परेशानी होती है, बल्कि अस्वीकृत आवेदनों की संख्या भी बढ़ जाती है। मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि अनावश्यक अस्वीकृति को रोका जाए और आवेदकों को हरसंभव सुविधा प्रदान की जाए।  


राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा दी जा रही ऑनलाइन सेवाओं की भी समीक्षा की गई। मंत्री ने डिजिटल सेवाओं की वास्तविक स्थिति का आकलन करते हुए अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि जनता को ऑनलाइन सेवाओं का अधिकतम लाभ मिले। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि दाखिल-खारिज प्रक्रिया में आने वाली समस्याओं को जल्द से जल्द हल किया जाए और किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को न सहा जाए।  


समीक्षा बैठक के दौरान यह भी सामने आया कि राज्य के विभिन्न अंचलों में दाखिल-खारिज मामलों के निपटारे की स्थिति अलग-अलग है। कैमूर जिले के नुआंव अंचल ने इस मामले में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया है। वहां दाखिल-खारिज के कुल प्राप्त आवेदनों में से मात्र 6.74 प्रतिशत आवेदनों को अस्वीकृत किया गया है। इसी तरह, नालंदा जिले के एकंगरसराय अंचल ने 7.44 प्रतिशत अस्वीकृति दर के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया, जबकि लखीसराय के हलसी अंचल ने 8.93 प्रतिशत अस्वीकृति दर के साथ तीसरा स्थान हासिल किया। इन आंकड़ों से साफ है कि कुछ अंचल बेहतर कार्य कर रहे हैं, जबकि कई अन्य अंचलों में सुधार की जरूरत है।  


मंत्री ने यह भी कहा कि दाखिल-खारिज की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए हर स्तर पर निगरानी बढ़ाई जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि जनता को अनावश्यक परेशानियों का सामना न करना पड़े। राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि दाखिल-खारिज मामलों का निपटारा समयबद्ध और निष्पक्ष तरीके से किया जाए। इस बैठक के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि भूमि से जुड़े मामलों में तेजी आएगी और लोग ऑनलाइन सेवाओं का सही तरीके से लाभ उठा सकेंगे।

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