पप्पू यादव के तीखे तेवर: 'RJD माने या न माने, कांग्रेस अपने रास्ते चलेगी!

पप्पू यादव के तीखे तेवर: 'RJD माने या न माने, कांग्रेस अपने रास्ते चलेगी!


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बिहार की राजनीति में एक बार फिर से हलचल तेज हो गई है। पूर्णिया के सांसद और कांग्रेस नेता पप्पू यादव ने अपने बयानों से आरजेडी प्रमुख लालू यादव और तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पत्रकारों से बातचीत में पप्पू यादव ने साफ कहा कि "आरजेडी खुश हो या न हो, इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। हम सब मिलकर हिंदी पट्टी में कांग्रेस को मजबूत करने में लगे हैं।" पप्पू यादव का ये बयान ऐसे समय पर आया है जब लोकसभा चुनावों की आहट साफ सुनाई देने लगी है और बिहार में महागठबंधन के भीतर तालमेल को लेकर सवाल उठ रहे हैं।


पप्पू यादव ने कहा कि भाजपा को हराने के लिए हिंदी पट्टी में गठबंधन जरूरी है, क्योंकि क्षेत्रीय दल अकेले इस चुनौती का सामना नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी विचारधारा से चलती है और जो भी निर्णय नेतृत्व करेगा, उसी के अनुसार कार्यकर्ता काम करेंगे। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि पार्टी भविष्य में अकेले भी लड़ सकती है लेकिन फिलहाल सभी का मकसद भाजपा को हराना है। पप्पू यादव ने खुद को जनता से जोड़ने वाला नेता बताया और कहा कि उनकी प्राथमिकता हमेशा विकास और लोगों के मुद्दों पर आधारित रही है।


पप्पू यादव ने भाजपा पर हमला करते हुए उसे ओबीसी, एससी-एसटी और किसानों का विरोधी बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा समाज के कमजोर तबकों को हाशिये पर धकेल रही है, जबकि कांग्रेस हर वर्ग को हिस्सेदारी देने की पक्षधर है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार जनता को गुमराह कर रही है और ‘मोदी है तो मुमकिन है’ का नारा अब खोखला साबित हो चुका है। उन्होंने कहा कि रुपया गिरता जा रहा है, पड़ोसी देश भारत से दूर होते जा रहे हैं और अमेरिका टैरिफ बढ़ा रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री चुप हैं।


पप्पू यादव ने ये भी कहा कि 2014 से पहले देश और हिंदू दोनों खतरे में नहीं थे, लेकिन भाजपा सरकार बनने के बाद से ही यह माहौल बनाया गया है। जब उनसे लालू यादव और अखिलेश यादव के व्यक्तिगत रिश्तों को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, "हम कोई ज्योतिषी नहीं हैं। व्यक्तिगत रिश्ते किसी के भी साथ हो सकते हैं, लेकिन राजनीति विचारधारा से चलती है, न कि रिश्तों से।"


बिहार में कांग्रेस और आरजेडी के बीच बढ़ती खींचतान इस बात का संकेत दे रही है कि आने वाले समय में दोनों दलों की राहें अलग हो सकती हैं। पप्पू यादव के बयान से इतना तो तय है कि कांग्रेस अब गठबंधन की शर्तों से ऊपर उठकर खुद को स्थापित करने की कोशिश में लगी है। उनका स्पष्ट संकेत है कि कांग्रेस अब दबाव की राजनीति नहीं सहेगी और अपने सिद्धांतों के साथ आगे बढ़ेगी।


इन बयानों के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस की बिहार इकाई क्या रुख अपनाती है और आरजेडी इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है। क्या बिहार में महागठबंधन बिखरने की कगार पर है या यह सब एक चुनावी रणनीति का हिस्सा है—इसका जवाब आने वाले समय में जरूर मिलेगा। लेकिन इतना तय है कि पप्पू यादव की बातों ने बिहार की सियासी फिजा में गर्मी जरूर बढ़ा दी है।

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