कटिहार के स्कूल में मिड डे मील बना ज़हर: खाने में मिली मरी छिपकली, छात्रा बीमार, प्रिंसिपल पर कार्रवाई की मांग तेज

कटिहार के स्कूल में मिड डे मील बना ज़हर: खाने में मिली मरी छिपकली, छात्रा बीमार, प्रिंसिपल पर कार्रवाई की मांग तेज

 

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**कटिहार में मिड डे मील बना जहरीला निवाला: खाने में निकली मरी छिपकली, छात्रा अस्पताल में भर्ती, प्रिंसिपल पर कार्रवाई की मांग तेज**


बिहार के कटिहार जिले से आई एक चौंकाने वाली खबर ने शिक्षा व्यवस्था और मिड डे मील योजना की पोल खोल दी है। जिले के एक सरकारी स्कूल में बच्चों को परोसे गए मिड डे मील में मरी हुई छिपकली मिलने से अफरा-तफरी मच गई। इस घटना के बाद एक छात्रा की तबीयत बिगड़ गई और उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इस लापरवाही को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखने को मिला है, और उन्होंने स्कूल प्रिंसिपल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।


**खाने में गिरी मरी छिपकली, छात्रा की तबीयत बिगड़ी**


घटना उस समय घटी जब सरकारी विद्यालय में बच्चों को मिड डे मील परोसा जा रहा था। बच्चों के अनुसार खाना परोसते समय उसमें एक मरी हुई छिपकली गिर गई। एक छात्रा, जिसने वह खाना खाया, उसकी तबीयत तुरंत खराब हो गई और उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाना पड़ा। बच्चे डरे और सहमे हुए हैं, जबकि उनके अभिभावकों में गुस्सा और चिंता का माहौल है।


**ग्रामीणों का गुस्सा, प्रिंसिपल पर कार्रवाई की मांग**


घटना की जानकारी मिलते ही गांव में हड़कंप मच गया। आक्रोशित ग्रामीणों ने स्कूल के बाहर प्रदर्शन किया और प्रशासन से मांग की कि स्कूल प्रिंसिपल को तुरंत हटाया जाए। लोगों का कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे। उनका आरोप है कि यह कोई पहली घटना नहीं है — मिड डे मील में खराब गुणवत्ता, गंदगी और लापरवाही अब आम हो गई है।


**प्रिंसिपल ने मानी लापरवाही, लेकिन सवाल कई**


इस पूरे मामले पर जब स्कूल प्रिंसिपल से पूछा गया, तो उन्होंने शिक्षकों की लापरवाही स्वीकार कर ली। लेकिन यह स्वीकारोक्ति बच्चों की सुरक्षा की गारंटी नहीं बन सकती। आखिर कैसे बिना जांच किए बच्चों को खाना परोसा गया? क्या कोई मॉनिटरिंग सिस्टम नहीं है? क्या बच्चों की जान इतनी सस्ती है?


**मिड डे मील योजना पर उठे सवाल**


सरकार की मिड डे मील योजना का उद्देश्य बच्चों को पोषण देना और स्कूल में उनकी उपस्थिति बढ़ाना है, लेकिन जब यही योजना बच्चों की सेहत के लिए खतरा बन जाए, तो उसकी उपयोगिता पर सवाल उठना लाजमी है। ऐसे में जरूरी है कि भोजन की गुणवत्ता की जांच के लिए सख्त नियम बनाए जाएं और जिम्मेदारों को जवाबदेह ठहराया जाए।


**प्रशासन पर दबाव, मांग है ठोस कदम की**


स्थानीय लोग अब जिला प्रशासन से अपेक्षा कर रहे हैं कि वो इस घटना की गंभीरता को समझे और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे। साथ ही स्कूलों में भोजन की गुणवत्ता की नियमित जांच और निगरानी सुनिश्चित की जाए।


**निष्कर्ष**


कटिहार की यह घटना एक चेतावनी है कि अगर अब भी शिक्षा व्यवस्था और मिड डे मील कार्यक्रम में सुधार नहीं किया गया, तो बच्चों की जान से खिलवाड़ यूं ही चलता रहेगा। अब समय आ गया है जब सरकार को सिर्फ योजनाएं घोषित करने से आगे बढ़कर उनकी ईमानदारी से निगरानी और क्रियान्वयन सुनिश्चित करना होगा। वरना ये हादसे किसी दिन एक बड़ी त्रासदी का रूप ले सकते हैं।

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