विशेष सत्र की मांग पर JDU का सख्त जवाब: "कोई औचित्य नहीं, सरकार को है समर्थन
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### **संसद के विशेष सत्र की मांग पर जदयू का सख्त रुख: "औचित्य नहीं, सरकार को समर्थन दें"**
**लेखक: शशांक कुमार
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव, ऑपरेशन सिंदूर और 10 मई को घोषित संघर्षविराम के बाद देश की राजनीति में एक नई बहस शुरू हो गई है। कांग्रेस, राजद समेत कई विपक्षी दल संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले, भारत की सैन्य कार्रवाई और सीजफायर के बाद बने हालात पर संसद में खुली चर्चा होनी चाहिए। लेकिन इस मांग पर अब बिहार की सत्ताधारी पार्टी और एनडीए की अहम सहयोगी **जनता दल यूनाइटेड (JDU)** ने कड़ा रुख अपनाया है।
जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता **राजीव रंजन प्रसाद** ने स्पष्ट किया है कि विपक्ष की यह मांग न तो ज़मीनी हकीकत पर आधारित है और न ही इसका कोई औचित्य बनता है। उन्होंने कहा, *"केंद्र सरकार पहले ही सर्वदलीय बैठक में इस पूरे मसले की जानकारी दे चुकी है। यहां तक कि विपक्षी दलों ने उस बैठक में सरकार को सहयोग और समर्थन देने की बात भी कही थी। फिर अब विशेष सत्र की मांग करना सिर्फ राजनीति है।"*
राजीव रंजन ने यह भी याद दिलाया कि एनसीपी और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता **शरद पवार** ने भी इस मांग को अव्यावहारिक बताया है। उन्होंने कहा कि *"आज जब पूरा देश सैन्य बलों की बहादुरी पर गर्व कर रहा है, तब संसद को अनावश्यक रूप से राजनीति का मंच नहीं बनाना चाहिए।"*
### **"भारत की कार्रवाई से पाकिस्तान बेनकाब हुआ"**
जदयू प्रवक्ता ने भारत की सैन्य कार्रवाई को पूरी तरह जायज़ और राष्ट्रहित में बताया। उन्होंने कहा कि *"ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी अड्डों को तबाह किया, कई आतंकवादियों को मार गिराया गया। यह कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत संकल्प का प्रतीक है।"*
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि *"भारतीय सेना की बहादुरी और सटीक हमले से पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है। केंद्र सरकार का कदम रणनीतिक रूप से भी सफल रहा है और इसका जदयू पूरी तरह समर्थन करता है।"*
### **विपक्ष की रणनीति पर सवाल**
जदयू की इस प्रतिक्रिया से साफ है कि एनडीए के भीतर कम से कम इस मुद्दे पर एक राय है कि विशेष सत्र की मांग सही दिशा में नहीं है। वहीं विपक्ष का आरोप है कि सरकार पारदर्शिता से बच रही है और वह युद्ध जैसे गंभीर मसले पर संसद को अंधेरे में रखना चाहती है।
गौरतलब है कि **22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 27 पर्यटकों की जान चली गई थी**, जिसके बाद पूरे देश में आक्रोश फैल गया था। इसी के जवाब में भारत ने 5 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत एयर स्ट्राइक की थी। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था, जिसे खत्म करने के लिए **10 मई को संघर्षविराम** की घोषणा हुई।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद का विशेष सत्र बुलाने को लेकर आगे राजनीतिक समीकरण क्या मोड़ लेते हैं। फिलहाल जदयू ने साफ कर दिया है कि वह केंद्र के हर उस निर्णय के साथ खड़ा है जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हो।
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