Congress के खिलाफ Lalu-Tejashwi की लॉबिंग, फिर राहुल गांधी राजद के लिए क्यों करेंगे जोर?"
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"कांग्रेस के खिलाफ लालू-तेजस्वी की लॉबिंग, फिर राहुल गांधी राजद के लिए क्यों करेंगे जोर?"
राहुल गांधी एक बार फिर बिहार का रुख कर रहे हैं, लेकिन इस बार उनका दौरा कुछ सवालों के घेरे में है। सिर्फ 18 दिनों में दूसरी बार पटना आने के बाद क्या राहुल गांधी की इस यात्रा का उद्देश्य सिर्फ बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति है, या यह कांग्रेस-राजद के रिश्तों में कुछ नया मोड़ लाने की कोशिश है? आइए, जानते हैं क्या चल रहा है बिहार में।
बिहार की सियासत में राजद और कांग्रेस के रिश्ते हमेशा ही उतार-चढ़ाव का शिकार रहे हैं। हाल ही में लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने खुलकर कांग्रेस से दूरी बनाने की कोशिश की। ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक की कमान देने की सलाह और दिल्ली चुनावों में आम आदमी पार्टी का समर्थन, इन घटनाओं ने कांग्रेस को हलचल में डाल दिया। क्या राहुल गांधी के बिहार दौरे का मुख्य उद्देश्य इन कड़ी बयानों का जवाब देना है?
पिछले दौरे में राहुल गांधी ने बिहार में जातिगत जनगणना को 'फर्जी' करार दिया था, जबकि तेजस्वी यादव इसे अपनी बड़ी उपलब्धि मानते हैं। क्या राहुल गांधी का यह बयान राजद के खिलाफ एक चेतावनी था? कांग्रेस के लिए यह समय "जैसे को तैसा" वाली रणनीति अपनाने का है, या वे किसी नए सियासी समीकरण की ओर बढ़ रहे हैं?
राहुल गांधी का पटना दौरा यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या कांग्रेस और राजद के रिश्ते अब सुधारने की दिशा में बढ़ रहे हैं। तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी और उन्हें अपने घर आने का निमंत्रण भी दिया था। क्या यह मुलाकात संकेत है कि दोनों दलों के बीच एक नई साझेदारी बन सकती है?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के करीब आ रहे हैं, और राहुल गांधी का पटना दौरा इसी चुनावी महाकुंभ की तैयारी का हिस्सा हो सकता है। क्या कांग्रेस राजद के साथ मिलकर बिहार में चुनावी समीकरण तैयार करेगी, या राहुल गांधी की यह यात्रा उनके पार्टी के चुनावी संघर्ष का हिस्सा है?
राहुल गांधी और कांग्रेस का जवाब राजद के नेताओं के बयानों को लेकर अब अहम होगा। क्या कांग्रेस इन बयानों को नजरअंदाज कर देगी, या फिर इससे कोई राजनीतिक संदेश भेजेगी? कांग्रेस के अगले कदम से यह तय होगा कि राजद और कांग्रेस के रिश्ते आगे कैसे आगे बढ़ेंगे।
राहुल गांधी का पटना दौरा सिर्फ एक सियासी यात्रा नहीं, बल्कि यह कांग्रेस और राजद के रिश्तों की दिशा तय करने की शुरुआत हो सकता है। क्या यह कांग्रेस के लिए एक नया मौका होगा या राजद के साथ रिश्ते और जटिल हो जाएंगे? बिहार की सियासत में यह दांव-पेंच अगले कुछ दिनों में और साफ हो सकता है।
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