"हर साल 20 जुलाई को मां की याद में रो पड़ते हैं नीतीश कुमार के बेटे निशांत, महावीर मंदिर से जुड़ा है भावुक किस्सा"   #nishantkumar #nitishkumar #news ##breakingnews #biharnews #nitishkumar

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**हर साल 20 जुलाई को मां की याद में रो पड़ते हैं नीतीश कुमार के बेटे निशांत, महावीर मंदिर से जुड़ा है भावुक किस्सा**


बिहार की राजनीति में इन दिनों एक नया चेहरा चर्चा में है—मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार। आमतौर पर मीडिया से दूरी बनाए रखने वाले निशांत अब धीरे-धीरे सार्वजनिक मंचों पर दिखाई देने लगे हैं। हाल ही में वह अपने पिता के साथ बख्तियारपुर पहुंचे और वहां उन्होंने एक यूट्यूब चैनल से बातचीत में अपनी निजी जिंदगी से जुड़ी एक भावुक कहानी साझा की। ये कहानी थी उनकी मां मंजू देवी की, जो हर साल उनके जन्मदिन पर पटना के महावीर मंदिर में जाकर उनके लिए पूजा करती थीं।


निशांत ने बातचीत के दौरान बताया कि 20 जुलाई को जब भी उनका जन्मदिन आता है, वह खुद को रोक नहीं पाते और रो पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मां जीवित थीं, वह हर साल 20 जुलाई को पटना स्टेशन के पास स्थित महावीर मंदिर जाती थीं और उनके लिए विशेष पूजा करवाती थीं। साथ ही वहां गरीबों को भोजन कराती थीं, जिसे ‘दरिद्र नारायण भोजन’ कहा जाता है।


निशांत ने एक किस्सा साझा करते हुए कहा कि 2005 में जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने और पहला ही साल था, तब उनकी मां उनके जन्मदिन पर महावीर मंदिर गई थीं। वहां जब उन्होंने देखा कि गरीब लोग गंदगी में बैठकर भोजन कर रहे हैं, तो उन्हें बहुत पीड़ा हुई। उन्होंने तुरंत साथ मौजूद अधिकारियों से कहा कि गरीबों के बैठने की उचित व्यवस्था कराई जाए। ये लोग भगवान के नाम पर खाना खा रहे हैं और गंदगी में बैठे हैं, ये ठीक नहीं है।


इस भावुक कहानी को सुनाते हुए निशांत ने अपनी मां की संवेदनशीलता और सेवा भावना को याद किया। उन्होंने बताया कि आज भी जब वह 20 जुलाई को अपना जन्मदिन मनाते हैं, तो उनकी आंखें नम हो जाती हैं। मां की यादें, उनका प्रेम, उनका स्नेह उन्हें अंदर से झकझोर देता है।


इसी दौरान उन्होंने चिराग पासवान और तेजस्वी यादव को लेकर पूछे गए सवाल का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि चिराग और तेजस्वी दोनों ही उनके छोटे भाई जैसे हैं। ये बयान उनके विनम्र स्वभाव और पारिवारिक सोच को दर्शाता है।


निशांत कुमार का यह भावुक बयान न सिर्फ उन्हें एक बेटे के रूप में दिखाता है, बल्कि एक ऐसे इंसान के रूप में भी सामने लाता है जो भावनाओं और परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। अब देखना यह है कि क्या भविष्य में वह राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हैं या फिर मां की दी हुई सीखों के रास्ते पर समाज सेवा को ही प्राथमिकता देते हैं।

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